लैटरल एंट्री : शुभचिंतकों को आईएएस बनाने का बेहतर माध्यम

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के माध्यम से बिना परीक्षा के आईएएस बनाने की सहमति दी थी | जिससे संबंधित नोटिफिकेशन हाल ही में यूपीएससी ने जारी कर दिया है | सरकार की घोषणा के बाद से ही लगातार देश भर में विशेषकर छात्रों के बीच में इसको लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है | अब इसमें छात्रों के साथ-साथ विपक्षी दल भी शामिल हो चुके हैं | आपको बताते चलें संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा एशिया की सबसे कठिन परीक्षा में से एक मानी जाती है | यूपीएससी द्वारा भावी सिविल सेवकों के चयन के लिए एक तीन चरणों वाली परीक्षा आयोजित की जाती है | जिसके प्रारंभिक चरण में पिछले कुछ वर्षों से लगातार सात से आठ लाख परीक्षार्थी भाग लेते हैं और इनमें से अधिकतम 600 से 700 परीक्षार्थी ही अंतिम रूप से चयनित हो पाते हैं | आज लैटरल एंट्री के माध्यम से सरकार की मंशा बिना किसी परीक्षा के सीधे प्रशासनिक अधिकारी बनाने की है | लेटरल एंट्री के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सीधे जॉइंट सेक्रेट्री के पद पर नियुक्ति का पात्र होगा | निश्चित रूप से भारतवर्ष में जहां लाखों की संख्या में छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं ऐसे में सरकार का यह कदम निश्चित रूप से प्रतियोगी छात्रों के खिलाफ है |

हालांकि मौजूदा केंद्र सरकार से पूर्व में भी वर्ष 2005 में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा लैटरल एंट्री का जिक्र किया गया था | लेकिन यूपीए की सरकार ने इस पर आगे कदम नहीं बढ़ाए थे | लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमेटी बनाई और बहुत ही कम समय में मूल प्रस्ताव में आंशिक बदलाव कर इस सिस्टम को लागू कर दिया | आसान शब्दों में समझने का प्रयास करें तो अब आपको बड़ा अधिकारी बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी | अब कोई भी व्यक्ति जिसको 10 से 15 वर्षों का अनुभव हो वह केंद्र में बड़े अधिकारी के तौर पर नियुक्त हो सकता है | इसमें एक बाधा सिर्फ इंटरव्यू की है और यूपीएससी द्वारा आयोजित इंटरव्यू को पास करने के बाद आप विभिन्न मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेट्री नियुक्त हो सकते हैं |

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भारत जैसे देश में जहां प्रत्येक राजनीतिक पार्टी द्वारा अपने शुभचिंतकों को बिना किसी योग्यता के बड़े पदों पर नियुक्त करने की परंपरा रही है | ऐसे में लैटरल एंट्री या बैक डोर एंट्री के माध्यम से आशंका है कि मौजूदा केंद्र सरकार अपने शुभचिंतकों को बड़े पदों पर नियुक्त कर सकती है | यह चिंता जायज भी है क्योंकि जिस पद पर पहुंचने के लिए एक आईएएस अधिकारी को लगभग 30 वर्ष लग जाते थे और सिर्फ कुछ सीमित संख्या में आईएएस अधिकारी इन पदों तक पहुंच पाते थे | ऐसे में निजी क्षेत्र के लोगों को मात्र एक इंटरव्यू के माध्यम से ही ऐसे बड़ो पदों पर बैठाना तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता | आखिर इस कदम की जरूरत क्यों पड़ी ? यदि केंद्र सरकार का यह मानना है कि यूपीएससी द्वारा चुने गए प्रशासनिक अधिकारी 20 वर्षों के अनुभव के बाद भी इस पद के योग्य नहीं होते हैं तो परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की जरूरत है और यदि यह कारण नहीं है तो निजी क्षेत्र के लोगों को इतने जिम्मेदार पदों पर बैठाने की कोई आवश्यकता नहीं है | ऐसे में विपक्ष के साथ-साथ प्रतियोगी छात्रों की भी आशंका प्रबल हो जाती हैं | आज इस संदर्भ में जब गाजियाबाद स्थित आजाद आईएएस अकादमी के प्रतियोगी छात्रों से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार के शुभचिंतक यूपीएससी की परीक्षा पास करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं | ऐसे में अपने शुभचिंतकों को सम्मानजनक पद पर बैठाने के लिए बैक डोर एंट्री का प्रावधान लाया गया है | निश्चित रूप से प्रतियोगी छात्रों का कहना भी सही है क्योंकि एक संक्षिप्त इंटरव्यू के आधार पर आप निजी क्षेत्र के लोगों की योग्यता का परीक्षण नहीं कर सकते |

मौजूदा मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों का कहना है कि सरकार यह प्रयास इसलिए कर रही है | जिससे एक क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ को उस क्षेत्र से संबंधित मंत्रालय में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाए और इससे वह मंत्रालय बेहतर ढंग से कार्य कर पाएगा | लेकिन शायद ऐसे लोगों को यह जानकारी नहीं है कि यूपीएससी की परीक्षा में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए प्रतियोगी छात्र आवेदन करते हैं और ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिससे जुड़े हुए छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से प्रशासनिक सेवाओं में ना गए हो इसलिए यह कहना की विशेषज्ञों के चुनाव के लिए लेटरल एंट्री का प्रोग्राम लाया गया है तो यह बेमानी होगा | एक तरफ जहां दिन प्रतिदिन सरकारी सेवाओं की रिक्तियों में कमी आ रही है ऐसे में बैक डोर एंट्री के कारण निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में यूपीएससी की रिक्तियों पर प्रभाव पड़ेगा और आने वाले वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में लेटरल एंट्री के माध्यम से शुभचिंतकों को प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश दिलाने के लिए आने वाली सरकारें भी प्रयास करेंगी |

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