यूपी के इस जिले की हालत देख दंग रह जाएंगे आप, इन सुविधाओं को तरस रहे लोग

ना खुदा ही मिला, ना विसाले सनम…..ना इधर के रहे ना उधर के रहे..……किसी शायर की ये पंक्तियां उस बस्ती के लोगो पर बिल्कुल सटीक बैठती है जो आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बिजली, पानी, सड़को जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है। ना तो यहां के लोगो को नगर पंचायत चुनाव में वोट डालने का अधिकार है और ना ही किसी ग्राम पंचायत में……..

दरअसल, आज हम बात कर रहे है जनपद सहारनपुर के कस्बा बेहट से सटी इंदिरा कालोनी की…….कहने को तो देश को आजाद हुए सत्तर बरस से ज्यादा का समय गुज़र चुका है, लेकिन अगर इंदिरा कालोनी की बात की जाए तो यहां के लोग आदिवासी के बराबर जीवन यापन कर रहे है। इस हाईटेक युग मे जहाँ देश व प्रदेश की सरकारें डिजिटल इंडिया और विकास की बात करती है….वही इंदिरा कालोनी के हालात इसके बिल्कुल उलट है। कालोनी के लोगो की माने तो वो कहने को तो नगर पंचायत बेहट से लगी हुई कालोनी में रहते है लेकिन यहां सुविधाओं जैसा कुछ नही है। कालोनी से कुछेक कदम पर देखा जाए तो पूरा कस्बा रौशनी से जगमगाता दिखाई देगा……चमचमाती सड़के..……पीने के पानी के लिए फ्रीजर और शिक्षा के लिए स्कूल…..लेकिन इंदिरा कालोनी में ऐसा कुछ नही है…..वजह जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे…क्योंकि इंदिरा कालोनी न तो नगर पंचायत बेहट में शामिल है और ना ही किसी ग्राम पंचायत में। यहां ज्यादातर गरीब तबका निवास करता है।

ये भी पढ़ें-जानिए विधानसभा सत्र में अलग क्यों बैठे ये BSP के बागी विधायक

कुछ जिम्मेदार लोगों ने बीड़ा उठाया, धरना-प्रदर्शन किए तो कुछ लोगो के राशन कार्ड बनाएं गए और उन्हें पास के गांव मुर्तज़ापुर की राशन डिपो से अटैच किये गए। लोगो का कहना है कि यहां 2-3 सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे जो रिबोर न होने के कारण ठप्प पड़े है। जल निगम, नगर पंचायत या फिर किसी ग्राम पंचायत द्वारा यहां पेयजल की व्यवस्था आज नही की जा सकी। रास्ते कच्चे है, विधायक निधि से कुछ मीटर सड़क जरूर बनाई गई लेकिन उसका लाभ पूरी कालोनी को नही मिल सका। पिछले कई बरसो से खड़े बिजली के पोल आज भी विद्युत लाइन खींचने की बाट जोह रहे है। लोगो का कहना है कि उन्हें आधार कार्ड, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना पड़ता है। नगर पंचायत में जाते है तो वे ब्लॉक में भेज देते है और ब्लॉक में जाये तो नगर पंचायत भेज देते है। इंदिरा कालोनी के लोगो की मांग है कि या तो उन्हें नगर पंचायत की सीमा में शामिल किया जाए या फिर ग्राम पंचायत का दर्जा दिया जाए ताकि वे भी समाज का हिस्सा बनकर अपना जीवन गुजार सके।

Related Articles

Back to top button