जानिए ‘यादव’ जाति का इतिहास…

भारत देश में अनेकों जातियां हैं, 4 वर्णों के आधार पर भारत में कई जातियां बनती हुई हैं। उन्हीं जातियों के बारे में न्यूज़ नशा आपको बताता है। इससे पहले आपको न्यूज़ नशा में क्षत्रिय और ब्राह्मण जाति के बारे में बताया गया था लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जाति के बारे में बताने जा रहें है ऐसी जाति के बारे में जो कि बहुत ही पुरानी है। यह जाति भारत की सबसे पुरानी जातियों में से एक है । हम बात कर रहे हैं यादव जाति की। यह जाति बहुत ही पुरानी है। अगर इसके इतिहास के बारे में नजर डाली जाए तो यह पता नहीं लग पाता है कि यह जाति कितनी पुरानी है लेकिन यादव जाति भारत की सबसे पुरानी जातियों में से एक मानी जाती है। और इसकी शुरुआत भारत से ही हुई थी। ये भारत के बाहर से नहीं आए थे।

इसी के साथ-साथ आप सभी ने यह भी सुना होगा कि भगवान श्री कृष्ण जो हैं उनको यदुकुल का कहा जाता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में पैदा हुए। द्वापर युग की अगर बात की जाए तो यादव जाति की शुरुआत द्वापर युग से शुरू नहीं होती है बल्कि यह उससे भी कहीं पुरानी बताई जाती है। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण तो खुद यदुकुल में पैदा हुए, यानी जिस यदुकुल में वह पैदा हुए वह उनसे भी बहुत पुरानी है। इससे यह पता चलता है कि भगवान श्रीकृष्ण बाद में आए हैं और यह जाति पहले से ही चली आ रही है। इस जाति के बारे में यदि आप जानकारी जुटाने चलते हैं तो इसका इतिहास बेहद ही पुराना नजर आता है। अगर इस जाति को लेकर बात की जाए तो बहुत सी जगहों पर यह जाति क्षत्रिय वर्ग में आती थी और कुछ जगहों पर उन क्षेत्रों की संपन्नताओं के आधार पर लोग कार्य क्या करते थे। तो यादव जाति कुछ जगहों पर तो क्षत्रिय वर्ग के रूप में दिखाई देती है वहीं कुछ जगहों पर यह चरवाहों के रूप में दिखाई देती है। अगर उत्तर प्रदेश बिहार जैसे राज्यों की बात की जाए तो यहां पर यह जाति चरवाहों के रूप में ही नजर आती है। यादव ज्यादातर उत्तरी भारत में रहते हैं और विशेष रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में रहते हैं। परंपरागत रूप से, वे एक गैर-कुलीन चरवाहे जाति थे। समय के साथ उनके पारंपरिक व्यवसाय बदल गए और कई वर्षों से यादव मुख्य रूप से खेती में जुड़े। यादव भारतीय राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल हैं।

कुछ रिपोर्ट के अनुसार यह बताया जाता है कि भारत में 20% यादव जाति के लोग रहते हैं और पूरी दुनिया भर की अगर बात की जाए तो 3% लोग यादव है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में कितनी बड़ी संख्या में इस जाति के लोग रहते हैं।

 

वहीं अगर राजनीति की बात की जाए तो राजनीती में यादवों ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है फिर वो चाहे मुलायम सिंह यादव हो या फिर लालू यादव. उत्तर प्रदेश और बिहार में राजनैतिक पार्टियों में जातियों का बोल बाला हमेशा रहा है और यादव जाती ने up और बिहार की राजनीती ही बदल दी थी। ये दोनों ही ऐसे राज्य है जहाँ सवर्णों का वर्चस्व हुआ करता था। लेकिन आज हालात ये हो चुके है की इन दोनों ही राज्यों में पिछड़ी जातियों के बिना सरकार बनाई ही नहीं जा सकती है। इन दोनों ही राज्यो में यादव जातियों का बड़ा योगदान है क्युकी इन दोनों ही राज्यों में यादव वोट बैंक बड़ी मात्रा में है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहाँ से मुलायम सिंह यादव ने यादवों को आगे बढ़ने का मौका दिया है। जहाँ पहले उत्तर प्रदेश में इस जाती को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था आज यह जाती उरत्तर प्रदेश ने एक बहुत बड़ा वोट बैंक है। दूसरी ओर बिहार की बात की जाये तो वहां लालू प्रशाद यादव और शरद यादव ,यादवों की आवाज़ बने है। आज बिहार में भी यादव वोट बैंक बहुत बड़ा है। इस तरह बिहार हो या up दोनों ही राज्यों में यादव जाती राजनैतिक नज़रिये में भी बहुत महतवपूरण है। भारतीय सेना में जातिगत रेजिमेंट पहले से ही सेना में मौजूद हैं, और अहीर या यादव रेजिमेंट के गठन की मांग केवल स्थापित मिसाल और नीतियों पर आधारित है। अहीर सैनिक अब न केवल भारतीय सेना में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, बल्कि वे उच्च रैंक में भी पाए जाते हैं।

आज के समय में भी अगर आप देखें तो बहुत से प्रदेशों में जो सत्ता की चाबी है वह यादवों की हाथों में ही है क्योंकि उन राज्यों में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश बिहार जैसे राज्य जहां यादव वोट बैंक एक बहु

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