स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर्स की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 9 नवम्बर को सुनवाई

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली दंगों के मामलों की सुनवाई के लिए दिल्ली सरकार की पैरवी करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता समेत दूसरे वकीलों को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर्स की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 9 नवम्बर को सुनवाई करेगा। दिल्ली प्रोसिक्युटर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नवीन चावला ने आज, 9 नवम्बर तक के लिए सुनवाई टाल दी।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदित्य कपूर, कुशल कुमार, मेनका गुरुस्वामी और आकाशदीप गुप्ता ने याचिका में मांग की है कि दिल्ली सरकार के 24 जून के उस नोटिफिकेशन को निरस्त किया जाए जिसमें उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के लिए ग्यारह पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की गई है। याचिका में कहा गया है कि इन पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति दिल्ली पुलिस की अनुशंसाओं पर की गई थी। पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के समय दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप-राज्यपाल के बीच मतभेद थे।

दिल्ली के उप-राज्यपाल ने हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली पुलिस की अनुशंसाओं पर अपनी मुहर लगा दी। याचिका में कहा गया है कि पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति करने का नोटिफिकेशन अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए कोई मानदंड तय नहीं किए गए थे। क्या इन वकीलों के पास पूर्व में दंगों से जुड़े मामलों को निपटाने का पर्याप्त अनुभव रहा है। दिल्ली पुलिस की अनुशंसाओं के आधार पर पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति करना संविधान की धारा 21 के तहत निष्पक्ष और स्वतंत्र न्याय पाने के अधिकार का उल्लंघन है।

जिन वकीलों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एफआईआर के मामले में उप-राज्यपाल ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त किया है उनमें मनोज चौधरी, राजीव कृष्ण शर्मा, नितिन राज शर्मा, देवेन्द्र कुमार भाटिया, नरेश कुमार गौड़, अमित प्रसाद, जितेंद्र जैन, राम चंदर सिंह भदौरिया, उत्तम दत्त और सलीम अहमद शामिल हैं।

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