मुंबई ही नहीं गुजरात के सूरत में भी प्रवासी मजदूरों की इकट्ठी हुई भीड़, पुलिस ने लोगों को समझाकर खाली की जगह

भारत में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिनों का लॉक डाउन खत्म हो रहा था। इससे पहले आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य को संबोधित करते हुए सुबह 10:00 बजे इस लॉक डाउन को बढ़ा दिया है। पीएम मोदी ने 3 मई तक लॉक डाउन को बढ़ाया है। इसके बाद मुंबई के बांद्रा में आज भीड़ इकट्ठी हो गई। यह भीड़ प्रवासी मजदूरों की थी। वही गुजरात के सूरत में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर आए। प्रवासी मजदूर लोग डाउन के बावजूद भी उन्हें अपने घर जाने की मांग कर रहे हैं। इनमें से कई मजदूर खाने-पीने को लेकर शिकायत कर रहे हैं।

बता दें कि इन मजदूरों ने लॉक डाउन की धज्जियां उड़ा दी है। मजदूरों का कहना है कि पिछले 4 दिनों से खाने के लिए कुछ नहीं मिल सका है और वह पानी पीकर अपना गुजारा कर रहे हैं। बता दें कि 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ने के बाद सूरत के दो इलाकों वराछा ओर अश्विनी कुमार में कपडे़ ओर एम्ब्रॉयडरी के मजदूर इकट्ठा हो गए। मजदूरों की मांग है कि उन्हें वापस अपने गांव भेजा जाए। इससे कुछ दिन पहले भी मजदूर हिंसा पर उतर आए थे और सब्जियों के ठेलों को आग लगा दी थी।

सूरत में यूपी, बिहार, राजस्थान, ओडिशा से मजदूर काम के लिए आते हैं। मजदूरों का आरोप है कि उनके लिए खाने और राशन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। वराछा इलाके में कारीगरों ने मास्क लगाकर भीड़ इकट्ठा की तो अश्विनी कुमार इलाके में सोशल डिस्टेंसिंग रख जमावड़ा किया।

वहीं आज जब सूरत में प्रवासी मजदूरों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ। समूह अपने मूल राज्यों में लौटने की अनुमति मांग रहा था। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से वे तितर-बितर हो गए। पुलिस ने उन्हें एरिया को खाली करने और अपने ठहरने के स्थान पर लौटने के लिए राजी कर लिया।

DCP सूरत ने इस मामले पर कहा कि “मजदूर अपने मूल राज्यों में वापस जाना चाहते थे। हमने उन्हें समझाया कि लॉकडाउन बढ़ गया है इसलिए किसी भी वाहन का आवागमन संभव नहीं है। उन्होंने यह भी शिकायत की कि उन्हें खाना नहीं मिल रहा है। हमने खाना परोेस रही एक एजेंसी को बुलाया। हम लोगों से इसे लेने का अनुरोध कर रहे हैं।

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