गोरखपुर : बाढ़ में डूबे गांव, राशन और सुविधाएं पहुंचाने के प्रशासनिक दावे खोखले !

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में बाढ़ से हालात बेकाबू हैं. कुल 80 गांव आंशिक या पूरी तरह से प्रभावित है. गांव में आने-जाने के रास्ते बाढ़ से घिरने के कारण बंद हो गए हैं. यही वजह है कि डाकू बने गांव और जिले में जाने के लिए लोगों को नव का सहारा लेना पड़ रहा है. राशन और अन्य सुविधाएं पहुंचाने के दावे भी ऊंट के मुंह में जीरा जैसे ही हैं. यही वजह है कि प्रशासनिक दावों को ग्रामीण खोखला बता रहे हैं. टीम पहुंची 10 हजार की आबादी वाले उत्तरी कोलिया गांव के बलुआ टोला. यहां हम मोटरसाइकिल और फिर नाव से पहुंचे. हमने यहां ग्रामीणों की दुश्वारियों को जानने की कोशिश की. जहां प्रशासनिक अफसरों के दावों की हकीकत साफ दिखाई देती है.

लगातार बाढ़ से घिरे गांवों और दोनों में पहुंच रहा है. हम लगातार दिखा रहे हैं कि किस गांव और टोले में प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची है. तस्वीरें गवाही दे रही हैं और आप देख भी सकते हैं. 8 से 10 हजार की आबादी वाला पिपरौली ब्लाक का उत्तरी कोलिया गांव बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित है. इस गांव के बलुआ टोला में हम मोटरसाइकिल और फिर नाव से पहुंचे हैं. 100 से सवा सौ की आबादी वाले इस टोले में 25 से 30 मकान है. बाढ़ की वजह से यह टोला टापू बन गया है. या तो कमर और उससे ऊपर तक पानी में होकर और या फिर नाव से आना-जाना इस गांव के लोगों की मजबूरी बन गई है. 20 से 25 दिन से ऐसा ही चल रहा है. हम पहुंचे इस टोले में लोगों के पास और उनका हाल जानने की कोशिश की. इस दौरान हमने नाविक मनीष निषाद से बातचीत की. वे बताते हैं कि कमर तक पानी या फिर नाव से ही आना जाना हो रहा है. प्रशासनिक मदद के नाम पर राशन तक नहीं मिला है. सिर्फ त्रिपाल बांटा गया है.

उत्तरी कोरिया के बलुआ टोला के रहने वाले विजय और आशा का छह लोगों का परिवार है. विजय कारपेंटर का काम करते हैं. लॉक डाउन की वजह से काम धंधा बंद है. वे बताते हैं कि उनका टोला पूरी तरह से पानी से घिर गया है. किसी तरह गुजर-बसर हो रहा है. कई दिन ऐसे ही बीत जाते हैं. जब दिन या रात में चूल्हा ठंडा पड़ा रहता है. लेकिन प्रशासनिक मदद के नाम पर महीने में मिलने वाला राशन ही उपलब्ध होता है. बाढ़ प्रभावित होने के बावजूद मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.

एक तो गांव में राशन और दवा सहित ना तो क्लोरीन की गोलियां मिली है और न ही जरूरत के अन्य सामान. गांव के दुर्बल साहनी बताते हैं कि लॉक डाउन की वजह से राजगीर का काम बंद हो गया. 1 एकड़ खेत में फसल भी बहुत है लेकिन वह भी बाढ़ में विलीन हो गई है. मिथिलेश विद्यार्थी हैं और वह बताते हैं कि 20 से 25 दिन से ऐसा ही हाल है. या तो नाव का सहारा लें या फिर कमर तक पानी में डूबकर ही बाहर निकलना हो पा रहा है. संदीप और शुभम भी विद्यार्थी हैं. वे बताते हैं कि गांव में कोई सरकारी मदद नहीं मिली है प्रशासनिक अफसर भी राशन मुहैया नहीं कराए हैं. गांव में सांप बिच्छू भी निकल रहे हैं जिससे खतरा बना हुआ है.

उत्तरी कोलिया गांव के प्रधान राजेंद्र निषाद बताते हैं कि 20 25 दिन से ऐसा ही हाल है. पिपरौली ब्लाक का उत्तरी कोलिया गांव मेंं 8 से 10 हजार की आबादी है. वे बताते हैं कि प्रशासनिक मदद के नाम पर राशन तक नहीं हुए हो रहा है. सरकारी दावे पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं. गांव में मदद के नाम पर केवल तिरपाल दिया गया है. लेकिन अन्य कोई सुविधा मुहैया नहीं हुई है. ऐसे में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तू कि बाहर से घिरा होने के कारण मनरेगा की मजदूरी भी बंद है और लॉक डाउन के वजह से काम-धंधा भी चौपट है. किसी तरह लोग जीवन यापन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक का उत्तरी कोलिया गांव का बलुवा टोला तो महज एक उदाहरण है. ऐसे 80 गांव प्रभावित हैं. ऐसे में प्रशासनिक दावों और उनकी हकीकत को आसानी से समझा जा सकता है.

गोरखपुर में नदियों की स्थिति और राहत की स्थिति

राप्ती बर्ड घाट पर खतरे के निशान 74.98 से 0.84 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. राप्ती स्थिर है.

रोहिन नदी त्रिमुहानी घाट पर 82.44 खतरे के निशान से 0.20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. नदी उतार पर है.

सरयू नदी तुर्तीपार में खतरे के निशान 64.01 से 1.22 मीटर ऊपर बह रही है. सरयू स्थिर है.

कुआनो मुखलिसपुर में खतरे के निशान 78.65 से 0.39 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. कुआनो उतार पर है.

गोरखपुर में 5 गांव कटान से प्रभावित हैं. 19 गांव में जलभराव की स्थिति है. 21 गांव में कृषि प्रभावित है. आबादी नहीं प्रभावित है. 35 गांव ऐसे हैं, जहां आबादी और कृषि दोनों प्रभावित है. कुल प्रभावित गांव 80 हैं. 21 गांव में राहत पहुंचाई गई है. कुल 49,011 आबादी प्रभावित हैं. 6643.68 क्षेत्रफल प्रभावित है. 86 बाढ़ राहत चौकी बनाई गई है. 259 नाव में 208 संचालित है. सर्पदंश से एक जनहानि है. वही दो पशु हानि है. तीन मकान पूर्ण रूप और 21 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. वहीं 5 झोपड़ियां भी पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं. 4237 राहत किट बांटी गई है. 5300 त्रिपाल शीट बांटी गई है. 140 मेडिकल टीम लगाई गई है. 9564 मानव उपचारित हुए हैं. 80,213 क्लोरीन की गोली बांटी गई है. वहीं 23795 ओआरएस पैकेट बांटे गए हैं.

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