अमेठी : धान की फसल में लगा रोग किसान हो रहे हलकान

 

प्रदेश में किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है एक के बाद एक नई समस्या किसानों के लिए खड़ी हो जाती है। जिसमें सरकार व उसके अधिकारी सिर्फ मूकदर्शक बने रहते हैं। कहीं पर भी किसी प्रकार की कोई मदद समय पर किसानों को नहीं मिल पा रही है। ऐसे में किसान लगातार हलकान हो रहे हैं जिसके चलते उनकी खेती पूरी तरह से चौपट होती दिखाई दे रही है। अभी समय पर किसानों को यूरिया खाद के संकट से जूझना पड़ा।

हालांकि अब अमेठी जिले में यूरिया खाद की किल्लत खत्म हो गई है। लेकिन समय पर किसानों को खाद न मिल पाने से उनकी फसलें पीली पड़ गई। किसी तरह से खेतों में उर्वरक तो पहुंच गई, लेकिन अब धान की फसलों में लगे तमाम तरह के रोगों से किसान परेशान है। ऐसे में जिले का कृषि विभाग पूरी तरह से उदासीन दिखाई पड़ रहा है। सिर्फ वह अपनी कागजी घोड़े दौड़ा रहा है। लेकिन हकीकत की धरातल पर वह किसानों के बीच पहुंच कर उन को जागरूक करने तथा कीटनाशक उपलब्ध कराने में पूरी तरह से फेल है।

धान की फसलों के विषय में जब किसानों से बात की गई तो किसानों ने बताया कि इस समय खेती में जो भी समस्याएं हैं उसमें सरकार पूरी तरह से फेल है और कोई ध्यान नहीं देना चाह रही है आवारा पशुओं के चलते यहां पर सौ सौ बीघे का प्लाट खाली पड़ा हुआ है जिसको मैं यहां के जिलाधिकारी और कृषि अधिकारी आए तो दिखा सकता हूं जानवरों के डर के चलते उसमें खेती नहीं की गई है इस समय यूरिया और दवाइयों को लेकर जितनी मारामारी चल रही है कहीं पर कुछ मिल नहीं रहा है हमारे यहां के जिला कृषि अधिकारी एक-एक दिन में 15 – 20 दुकानों को सील करते हैं किंतु यहां तक नहीं बता रहे हैं कि धान में सड़वा रोग लगा हुआ है उसकी दवाइयां कहां मिलेंगे प्रत्येक ग्राम सभा में किसान मित्र रखे गए हैं लेकिन उनके किसान मित्र यह नहीं बता सकते कि धान की फसलों में कौन सा रोग लगा हुआ किसान मित्र बैठकर मानदेय ले रहा है और यह लोग दे रहे इस प्रकार की अनियमितता बरते हुए किसी भी प्रकार का अंकुश कर्मचारियों पर नहीं है। इसीलिए किसानों के पास बहुत ही मजबूरियां हैं।

ऐसे में किसानों की होने वाली समस्याओं के संबंध में जब जिला कृषि अधिकारी अखिलेश कुमार पांडे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस समय जो देखा जा रहा है और किसान भाइयों के खेत में लगने वाले रोगों के संबंध में जो शिकायतें प्राप्त हो रही हैं इसके संबंध में हमने अपने कार्यालय से प्रेस नोट जारी कर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से किसान भाइयों को जागरूक किया है। इसके साथ जो हमारे विकास खंडों पर कृषि छाए इकाई स्थापित है उनके इंचार्ज और कर्मचारियों को जागरूक किया जा चुका है तथा बताया जा चुका है कि वह किसान भाइयों के संपर्क में रहे हमारे सभी विकासखंड स्तर पर किसानों के व्हाट्सएप ग्रुप भी बने हुए हैं। उसमें जो भी मैसेज इस प्रकार के आते हैं उनकी समस्याओं का निदान किया जाता है जहां तक लोगों की बात है यह देखा जा रहा है कि जो धान की महीन प्रजाति है।

उसमें बैक्टीरियल लीफ लाइट रोग लगा हुआ चला जा रहा है उसके दृष्टिगत किसानों को बताया जा रहा है कि उसमें कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 400 से 500 मिलीग्राम तथा इसट्रिपटोसाइक्लिन 15 मिलीग्राम करीब 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर 1 हेक्टेयर एरिया के लिए पर्याप्त है इसका छिड़काव करके रोग का निदान हो सकता है और दूसरी जो संज्ञान में आई है कि इसमें जड़ की सूड़ी जो एक कीट है वह धान की फसल में लग रहा है और पौधों को नष्ट कर दे रहा है तथा पत्तियां उससे पीली पड़ने लगती है।

उसके निदान के लिए है बताया जा रहा है कि करताप हाइड्रोक्लोराइड 2% का उसको 20 से 25 मिलीग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में डालकर तथा क्लोरो पोरीफास् एक दवा आती है। इसको सिंचाई के पानी के साथ डालने से उसका निदान संभव है अंत में जिला कृषि अधिकारी महोदय से जब यह पूछा गया कि क्या यह कीटनाशक कृषि रक्षा इकाई पर उपलब्ध है ? तब उन्होंने बताया कि नहीं यह हमारे कृषि रक्षा इकाई पर नहीं उपलब्ध है यह मार्केट में जो दुकाने हैं वहां पर उपलब्ध है।

Related Articles

Back to top button