सर्वोच्च बलिदान देने की अमिट परंपरा छोड़ गए सरदार भगत सिंह : गिरिराज सिंह

बेगूसराय। भारत माता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल जाने वाले क्रांतिकारी शहीद सरदार भगत सिंह को उनकी 113वीं जयंती पर सोमवार को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। बेगूसराय के संसद व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सरदार भगत सिंह को याद करते हुए कहा, ‘भगत सिंह मातृभूमि से प्रेम और उसके लिए सर्वोच्च बलिदान देने की एक ऐसी अमिट परंपरा छोड़ गए हैं जिस पर हर हिंदुस्तानियों का सिर हमेशा ऊंचा रहेगा। शहीद भगत सिंह जयंती पर उन्हें शत-शत नमन।’

जयमंगला वाहिनी द्वारा शहीद भगत सिंह जयंती पर बेगूसराय सदर अस्पताल में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसके अलावा लोग उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से भी याद कर रहे हैं। जिला मुख्यालय के टेढ़ीनाथ चौक के समीप स्थित शहीद स्मारक पर सुबह से ही बड़ी संख्या में पुष्पांजलि अर्पित कर जयमंगला वाहिनी समेत विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं बुद्धिजीवी उन्हें याद कर रहे हैं। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि 14 वर्ष की आयु से ही भारत माता को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारी के संपर्क में आए सरदार भगत सिंह बाद में उनके मित्र बन गए।

स्वतंत्र संग्राम के इतिहास में सदा के लिए दर्ज किए गए प्रमुख नायक भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के साथ गीत गाते हुए फांसी के फंदे पर चढ़ गए। स्वतंत्रता आंदोलन के लिए क्रांतिकारी दल का पुनर्गठन करने का श्रेय सरदार भगत सिंह को ही जाता है। उन्होंने प्रताप में बलवंत सिंह के नाम से तथा अर्जुन के संपादकीय विभाग में अर्जुन सिंह के नाम से कुछ समय काम किया। आज की युवा पीढ़ी एवं छात्रों को भगत सिंह के विचारों को अपनाना चाहिए। उनके बताए रास्तेे पर चलकर ही देश की उन्नति हो सकती है, आतंक और भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है।

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