किसान नेता योगेंद्र यादव बोले:लखबीर की हत्या पर मुझे दुख है,

लेकिन निहंग प्रमुख के साथ केंद्रीय मंत्री की फोटो आना षडयंत्र है, इसकी जांच होनी चाहिए

मैं लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ता के घर शोक जताने गया, इस बात का मुझे कोई खेद नहीं है। यह सब करना तो हमारी संस्कृति का हिस्सा है। मेरी गलती ये थी कि मुझे वहां जाने से पहले अपने साथियों से बात करनी चाहिए थी। मैंने सिर्फ इस बात के लिए माफी मांगी है। मैं मोर्चे के फैसले को स्वीकार करता हूं। किसान नेता योगेंद्र यादव ने भास्कर के साथ बातचीत में यह बात कही। उन्होंने सिंघु बॉर्डर पर निहंगों द्वारा लखबीर की हत्या पर दुख जताने के साथ ही इसे षड़यंत्र भी करार दिया और जांच की मांग की। आइए पढ़ते हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल: संयुक्त मोर्चा ने आपको एक महीने के लिए निलंबित किया है, आपकी क्या राय है?

जवाब: यह किसान आंदोलन एक ऐतिहासिक आंदोलन है। इस आंदोलन की एकता और सामूहिकता को बचाए रखने की जरूरत है। इसलिए जो संयुक्त मोर्चा का निर्णय है वो मुझे स्वीकार है। जो मैंने किया वो बिना सोचे की गई घटना नहीं थी। मैं गांधी, लोहिया, जय प्रकाश की परंपरा से बड़ा हुआ हूं।

मेरे लिए सार्वजनिक जीवन में बेहद जरूरी है कि हर आदमी का दुख पहचान सकूं, चाहे वो हमारा विरोधी ही क्यों न हो। कोई भी आंदोलन इस प्रकार की संवेदना से बड़ा होता है छोटा नहीं। जब गांधी जी ने ऐसा किया था तो कई लोगों को लगता था कि इससे आंदोलन कमजोर होगा, लेकिन उससे उनके आंदोलन को मजबूती मिली।

मैंने जो किया वह व्यक्तिगत हैसियत से किया। संयुक्त मोर्चा का नाम नहीं लिया फिर भी आंदोलन के बीच में ऐसी घटना होती है तो इसका असर सब पर पड़ता है। और मुझे इस बात का ध्यान रखना चाहिए था। इसके लिए मैंने खेद व्यक्त किया है।

सवाल: आप मानते हैं कि आपसे चूक हुई है?

जवाब: कोई चूक नहीं हुई है। यदि हमारी किसी से पुश्तैनी दुश्मनी भी होती है तो हम उसकी शादी ब्याह में नहीं जाते, लेकिन उसके दुख में जाते हैं। महाभारत में भी सूर्यास्त के बाद सब लोग आपस में एक दूसरे का हाल जानते थे। मेरी गलती यह थी कि मुझे अपने साथियों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए था। उनसे बात करनी चाहिए थी।

सवाल: पहले चढूनी और अब आप का निलंबन, क्या ऐसे फैसलों से आंदोलन में गुटबाजी बढ़ेगी?

जवाब: मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता, क्योंकि अभी मुझ पर ही आरोप लगे हैं। ऐसे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। मैं अपने केस में जज की भूमिका निभाऊंगा, ये हैं सही बात नहीं है ।

सवाल: चर्चा है कि गाजीपुर बॉर्डर से तंबू हटाने शुरू हो गए हैं, तो क्या मोर्चे के लोगों ने सड़क से हटना शुरू कर दिया है।

जवाब: कुछ घंटों तक यह अफवाह चली थी, लेकिन वह खबर सच नहीं थी। गाजीपुर में एक रास्ता पहले से खुला हुआ है। जयपुर हाईवे पर दोनों तरफ सर्विस लाइन खुली हुई है और सिंधु बॉर्डर पर भी एक रास्ता हमने खोल रखा है, जो आगे चल कर दिल्ली पुलिस ने बंद किया हुआ है। हमारे वकील ने अदालत में भी यही कहा है कि सरकार व कोर्ट इस बात की जांच करवाए कि सड़कों को किसने बंद किया है। पूर्व न्यायधीश ने भी यही पूछा था कि बैरिकेडिंग और सड़क पर कांटेदार तार किसने लगाई है?

सवाल: आप लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ता के घर शोक प्रकट करने गए, तो क्या सिंधु बॉर्डर पर मारे गए लखबीर सिंह के घर भी जाएंगे?

जवाब: मुझे दुख भी है और गुस्सा भी। जिस तरीके से लखबीर की हत्या हुई है और वीडियो बनाकर उसका प्रचार प्रसार किया गया है। यह तो बेहद भयानक चीज है। दो दिन पहले जो जानकारी आई है वह स्पष्ट करती है कि जिन निहंगो के समूह ने इस घटना को अंजाम दिया, उसके मुखिया अमन सिंह एक महीने पहले देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले थे। इस घटना की पूरी जांच होनी चाहिए। इस प्रकार के अपराध बेहद गंभीर हैं।

मोर्चा ने साफ कर दिया है कि इस प्रकार के लोगों के लिए किसी भी मोर्चे पर कोई जगह नहीं है। मृतक के परिजनों के साथ हर प्रकार की संवेदना व्यक्त की जानी चाहिए। जो किसी भी व्यक्ति के साथ की जाती है। मृतक पर ये आरोप है कि उसने बेअदबी की, लेकिन इस आरोप का अभी तक कोई प्रमाण नहीं है। बिना अपराध साबित हुए ही उस आदमी को सजा दी गई यह गलत है।

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