वैक्सीन मिक्सिंग को लेकर जारी है स्टडी, अभी और डेटा की जरूरत

नई दिल्ली. देश में कोरोना (Coronavirus) की तीसरी लहर की आशंका के बीच इस वक्त वैक्सीन  की मिक्सिंग (Mixing of Coronavirus Vaccines) को लेकर भी स्टडी चल रही है. यानी वैज्ञानिक ये पता लगा लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज़ देने पर किसी इंसान पर क्या असर पडे़गा. दुनिया के कुछ देशों में फाइज़र और मॉडर्ना की दो अलग-अलग डोज भी दी जा रही हैं. भारत में कोविशिल्ड और कोवैक्सिन को मिक्स करने पर स्टडी चल रही है. हालांकि केंद्र ने कहा है कि अभी इसको लेकर और डेटा की जरूरत है. सरकार के मुताबिक उसके बाद ही वैक्सीन की मिक्सिंग को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा.

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज को मिक्स वैक्सीन पर ट्रायल की अनुमति दी है. इस तरह के कुछ और अध्ययन शुरू किए गए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सचिव, डॉक्टर रेणु स्वरूप ने कहा, ‘हमें अधिक स्पष्टता प्राप्त करने के लिए और ज्यादा वैज्ञानिक डेटा की जरूरत है.’

जुलाई में क्लीनिकल ट्रायल की सिफारिश
29 जुलाई को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति ने कहा था कि वो देश की बड़ी आबादी को टीका लगाने के लिए कोविशिल्ड और कोवैक्सिन के मिश्रण के पक्ष में है. समिति ने सीएमसी को दो टीकों के मिश्रण की प्रभावकारिता पर क्लीनिकल ट्रायल करने की सिफारिश की थी.

अब तक के नतीजे
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने मिक्स वैक्सीन को लेकर 18 लोगों पर एक अध्ययन किया था. ये उत्तर प्रदेश के वो लोग थे, जिन्हें गलती से कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों दिए गए थे. लेकिन स्टडी के अच्छे नतीजे सामने आए. अध्ययन में पाया गया कि दोनों टीकों के मिश्रण से ज्यादा इम्यूनिटी बनी. यानी इम्यूनिटी का स्तर एक टीके के मुकाबले दो मिक्स टीके में ज्यादा थे.

इन देशों में भी चल रहा ट्रायल
कनाडा, थाईलैंड, वियतनाम, भूटान, ब्रिटेन और अमेरिका सभी ने अलग-अलग वैक्सीन के खुराक के मिश्रण की अनुमति दी है. डेनमार्क में मिक्स वैक्सीन को लेकर एक स्टडी एस्ट्राजेनेका और फाइजर-मॉडर्ना के साथ की गई. बता दें कि एस्ट्राजेनेका को भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है. स्टडी के नतीजों के मुताबिक ये मिक्स वैक्सीन कोविड -19 वायरस के खिलाफ अच्छी सुरक्षा प्रदान करती है. रूस में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में उपलब्ध स्पुतनिक वी को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के साथ मिलाने से कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हुआ.

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