ज्ञानव्यापी मस्जिद में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, ASI के दी बड़ी जिम्मेदारी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले कथित ‘शिवलिंग’ का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी है। एचसी ने संरचना को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया है।

मीडिया ने जानकारी दी है की, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को परिसर में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दी है, जिससे संरचना को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।’ एचसी ने शिवलिंग कितने साल पुराना है, और इसकी कितनी आयु है, को पता लगाने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने वाराणसी अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक पुनरीक्षण याचिका पर अधिकारियों को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर आधुनिक तकनीक का उपयोग कर शिवलिंग जैसी संरचना की आयु निर्धारित करने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय ने आज (12 मई) वाराणसी जिला न्यायालय के 14 अक्टूबर के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें संरचना की कार्बन डेटिंग सहित वैज्ञानिक जांच की याचिका खारिज कर दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि शिवलिंग होने का दावा करने वाले ढांचे को कोई नुकसान न पहुंचे। मस्जिद के अधिकारियों का कहना है कि यह ‘वज़ू खाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहाँ नमाज़ से पहले वुज़ू किया जाता है।

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