महात्मा गांधी से मिलने जाते वक्त चार्ली चैपलिन इतने नर्वस थे कि पूरे रास्ते रिहर्सल करते हुए गए,

आज गांधी की 152वीं जयंती है। पूरी दुनिया में इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्‍या कर दी थी।

महात्मा गांधी की छवि आम तौर पर एक धीर-गंभीर विचारक, आध्यात्मिक महापुरुष और एक अनुशासन प्रिय राजनेता की रही है, लेकिन उनके ह्यूमर और हाजिरजवाबी का भी कोई जवाब नहीं था।

जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- ‘जिसने महात्माजी की हास्य मुद्रा नहीं देखी, वह बेहद कीमती चीज देखने से वंचित रह गया।’

सरोजिनी नायडू तो महात्मा गांधी को प्यार से ‘मिकी माउस’ बुलाती थीं। गांधी जी भी अपने पत्रों में उनके लिए ‘डियर बुलबुल’, ‘डियर मीराबाई’, यहां तक कि कभी-कभी मजाक में ‘अम्माजान’ और ‘मदर’ भी लिखते थे।

आजाद भारत के दूसरे और आखिरी गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी गांधी के बारे में कहते थे- ‘ही इज ए मैन ऑफ लाफ्टर।’

तो चलिए इस गांधी जयंती पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक किस्से….

सेवाग्राम आश्रम में माइक्रोस्कोप से कुष्ठ रोग (लेप्रोसी बैक्टीरिया) देखते महात्मा गांधी। गांधी का वर्धा (महाराष्ट्र) में स्थित सेवाग्राम आश्रम भी दुनिया भर में उतना ही मशहूर है जितना साबरमती आश्रम (गुजरात)। इस आश्रम की खासियत यह है कि गांधी जी ने अपनी संध्याकाल के अंतिम 12 वर्ष यहीं बिताए।

महात्मा गांधी के पैर धोती उनकी पोती। यह फोटो बांग्लादेश के नोआखाली दंगे के बाद की है। नोआखाली से आने के बाद गांधी ने हिंसा प्रभावित गांवों की पदयात्रा शुरू की। चार महीनों की अपनी यात्रा के दौरान वे नंगे पांव रहे। उनका मानना था कि नोआखाली एक श्मशान भूमि है, जहां हजारों बेकसूर लोगों की समाधियां हैं। ऐसी जगहों पर चप्पल पहनना मृत आत्माओं का अपमान करना है।

बीमार विनोबा भावे के पैरों की मालिश करते महात्मा गांधी। विनोबा को गांधी के सिद्धांत और विचारधारा काफी पसंद थी इसलिए उन्होंने गांधी को अपना राजनीतिक और आध्यात्मिक गुरु बनाने का फैसला किया। साल 1940 तक तो विनोबा भावे को सिर्फ वही लोग जानते थे, जो उनके इर्द-गिर्द रहते थे। 5 अक्टूबर 1940 को गांधी ने एक बयान जारी किया और विनोबा को पहला सत्याग्रही बताया।

गांधी और मुस्लिम लीग के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की यह फोटो दिल्ली में जिन्ना के घर की है। 1944 में जब विभाजन के मामले पर गांधी और जिन्ना की बातचीत पूरी तरह विफल होने के कगार पर आ चुकी थी, तब गांधी ने भाईचारे वाले संबंध से काम लेना चाहा और जिन्ना को दो चिट्ठियां लिखीं, लेकिन इससे भी बात बन नहीं पाई थी।

महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यह फोटो हरिपुरा में एक राजनीतिक बैठक के दौरान की है। हरिपुरा अधिवेशन 1938, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव था क्योंकि तब बोस को हरिपुरा के वार्षिक सत्र के लिए कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

साल 1920 के आस-पास जब महात्मा गांधी का प्रभाव भारत के कोने-कोने में फैल रहा था, चीन के कई लोग प्रेरणा के लिए उनकी ओर देख रहे थे। गांधी कभी चीन नहीं गए, लेकिन 1940 के दशक में चीनी नेता चियांग काई शेक और उनकी पत्नी सूंग मे-लिंग गांधी से मिलने भारत आए थे। यह फोटो उसी वक्त की है। चीन में गांधी पर करीब 800 किताबें लिखी गई हैं।

साबरमती आश्रम में अपने कमरे की बालकनी में खड़े महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी। कस्तूरबा को ब्रॉन्काइटिस की शिकायत थी, फिर उन्हें दो दिल के दौरे पड़े और इसके बाद निमोनिया हो गया। डॉक्टर बा को पेनिसिलिन का इंजेक्शन देना चाहते थे, लेकिन गांधी इलाज के इस तरीके को हिंसा मानते थे और इसके खिलाफ थे। इसलिए बा ने इंजेक्शन नहीं लिया और 22 फरवरी 1944 को उनका निधन हो गया।

शिमला में 12 मई 1921 को रिक्‍शे में बैठकर तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रीडिंग से मिलने जाते महात्मा गांधी। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने कई बार शिमला की यात्राएं कीं। अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी होने के कारण गांधी को बातचीत के लिए कई बार शिमला का रुख करना पड़ा।

इस फोटो में महात्मा गांधी के साथ नवाब सर अहमद नवाज खान हैं। नवाज खान मनकेरा और डेरा के पूर्व साम्राज्य के छठे नवाब थे। इसके साथ ही वो गांधी जी के अच्छे दोस्त भी थे। मनकेरा और डेरा का राज्य, जिसे मनखेड़ा या लिआह और बुक्कर के नाम से भी जाना जाता है, एक शक्तिशाली भारतीय राज्य था।

महात्मा गांधी को सुझाव देते उनके सचिव महादेव देसाई। वहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू जमीन पर शांति से बैठे हैं। करीब दो दशक से ज्यादा समय तक महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे महादेव देसाई को ‘गांधी की छाया’ कहा जाता था।

महात्मा गांधी के साथ इंदिरा गांधी। 1959-60 में इंदिरा गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। 18 मार्च 1971 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। तीन नवंबर 1984 को इंदिरा गांधी का अंतिम संस्कार किया गया था।

कलकत्ता की प्रेसिडेंसी जेल में राजनीतिक कैदियों से बातचीत कर जेल से बाहर आते महात्मा गांधी। यहां से निकलकर गांधी सीधे बंगाल सरकार के साथ इन कैदियों की रिहाई की संभावना पर चर्चा करने गए थे। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की मुखालफत के दौरान गांधी जी खुद भी कई बार जेल गए और सालों जेल की काल कोठरी में बंद रहे।

जुहू बीच पर अपने पोते कनुभाई गांधी के साथ मस्ती करते हुए महात्मा गांधी। यह फोटो 1937 में मुंबई में खींची गई थी। तब गांधी बीमारी के बाद जुहू के आरडी बिड़ला बंगले में ठहरे थे। हालांकि गांधी की इस फोटो को दांडी मार्च की तस्वीर बताया गया था, जिस पर भारी विवाद भी हुआ था।

दिल्ली में AICC की मीटिंग में महात्मा गांधी के साथ जवाहरलाल नेहरू, अब्दुल गफ्फार खान, सरदार पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजाद। देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद अव्वल दर्जे के पत्रकार और प्रखर संपादक के रूप में भी जाने जाते रहे। आजाद के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि उनका जन्म सऊदी अरब के मक्का में हुआ था।

महात्मा गांधी और सर पी पाटनी। गांधी की यह फोटो दूसरे राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के लिए लंदन जाने के दौरान की है। जहाज के केबिन में भी गांधी अपना चरखा लेकर गए थे। प्रभाशंकर पाटनी गुजरात के प्रमुख सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। लंदन में दूसरी राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में गांधी के शामिल होने के पीछे सर पाटनी की ही अहम भूमिका थी।

यह फोटो 1940 में एक ट्रेन में गांधी के सफर के दौरान की है। इसमें गांधी चंदा लेते नजर आ रहे हैं। खिड़की के बाहर से आचार्य कृपलानी और राधाकृष्ण बजाज गांधी जी को देख रहे हैं। आचार्य कृपलानी आजादी से पहले लंबे समय तक कांग्रेस के महासचिव रहे और 1947 में जब देश आजाद हो रहा था, तब वह इस पार्टी के अध्यक्ष थे। हालांकि बाद में हालात ऐसे बने कि कृपलानी कांग्रेस विरोधी हो गए और विपक्ष की राजनीति करने लगे।

अक्टूबर 1931 में जब मोहनदास करमचंद गांधी लंदन के चैथम हाउस पहुंचे तो हॉल उनके प्रशंसकों से खचा-खच भरा हुआ था। यह फोटो उसी वक्त की है। अब तक गांधी विश्व स्तर की शख्सियत बन चुके थे। नमक सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन के अंतरराष्ट्रीय प्रेस कवरेज ने उन्हें पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया था।

साल 1931 में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के लिए गांधी लंदन में अपने अनुयायी मुरिएल लेस्टर के यहां ठहरे थे। उनका एक आश्रम था जिसको किंग्सले हॉल कहा जाता था। यह पूर्वी लंदन इलाके में था। गांधी रोज शाम को जब फुरसत से होते तो किंग्सले हॉल के सभागार में चले जाते थे। ब्रिटिश पॉलिटिशियन जॉर्ज लांसबरी और बच्चों के साथ गांधी की ये फोटो किंग्सले हॉल की है।

लंदन के ईस्ट एंड के एक फ्लैट में महात्मा गांधी ठहरे हुए थे। जब चार्ली चैपलिन उनसे मिलने पहुंचे तो वह नर्वस थे। ऐसा खुद चार्ली ने बाद में लिखा था और याद किया था कि वह गांधी से मिलने जाते वक्त रिहर्सल कर रहे थे। इसी मुलाकात के दौरान चार्ली ने गांधी से कहा था कि आप मशीनों का इतना विरोध क्यों करते हैं, इस पर गांधी ने कहा था कि मैं मशीनों का विरोधी नहीं हूं, बल्कि मशीन की वजह से किसी का रोजगार छिन जाना बर्दाश्त नहीं कर सकता।

भारत की आजादी के लिए अपने विचारों पर आधारित अभियान चला रहे महात्मा गांधी ने चार्ली चैपलिन से मुलाकात के लिए मना कर दिया था, लेकिन बाद में वो मिलने के लिए तैयार हो गए थे। 22 सितंबर 1931 को पूर्वी लंदन में जब गांधी से मिलने चार्ली चैपलिन पहुंचे तो उस वक्त वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। यह फोटो उसी दौरान की है। चार्ली पहले से ही गांधी जी के फैन थे। निजी मुलाकात के बाद चार्ली पर गांधीवाद का असर गहरा और साफ दिखने लगा था।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता महात्मा गांधी की हस्ताक्षरित फोटो। गांधी ने न सिर्फ देश की आजादी के लिए अहिंसात्मक संघर्ष किया बल्कि कई सामाजिक सुधार भी किए। उन्होंने छुआछूत और भेदभाव को खत्म करने के लिए अभियान भी चलाया।

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