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डुमरियागंज लोकसभा: जाति के जंजाल में फंसे जगदंबिकापाल, कठिन लग रहा है संसद भवन का द्वार

इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा ने भीष्मशंकर तिवारी को अपना उम्मीदवार घोषित कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है

Loksabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव-2024 का बिगुल बज चुका है। आज पहले चरण का चुनाव भी हो रहा है। ऐसे में सभी पार्टियां चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस सभी अपनी- अपनी सरकारें बनाने का दावा कर रही हैं। अगर हम सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर वोट जाति और धर्म के नाम पर पड़ते हैं। उसमें से भी पूर्वांचल विशुद्ध जातिगत समीकरण वाला इलाका माना जाता है।

डुमरियागंज में हावी रहा है जातिगत समीकरण 

बुद्ध की जन्मस्थली सिद्धार्थनगर में भी जातिगत समीकरण काफी हावी रहा है। यह जिला डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और यह भारत के अति पिछड़े आकांक्षी जिलों की सूची में भी शामिल है। अपने काले नमक चावल को लेकर विश्वविख्यात सिद्धार्थनगर जिला, हमारे देश की एक अमूल्य धरोहर है। अब डुमरियागंज लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर चुनाव 25 मई को होने हैं। ऐसे में भाजपा ने यहां से जगदंबिकापाल को टिकट दिया है। जगदंबिकापाल लगातार तीन बार से सांसद हैं, और क्षेत्र में अपने लोकप्रिय छवि की वजह से चर्चा में रहते हैं। इंडी गठबंधन की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए सपा के भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी भी यहां से अपना ताल ठोंक रहे हैं तो बसपा ने ख्‍वाजा शमशुद्दीन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन मुख्य मुकाबले में भाजपा और सपा ही है। जातियों के लिहाज से देखा जाए तो गोरखपुर के बाहुबली नेता रहे स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी मजबूत नजर आते हैं, क्योंकि डुमरियागंज लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर ज्यादा संख्या में हैं और साथ ही सपा को समर्थन देने वाले मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है।

मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी है संख्या

डुमरियागंज लोकसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 19 लाख 52 हजार 37 है. इसमें 10 लाख 39 हजार 726 पुरूष व 9 लाख 12 हजार 165 महिला हैं तथा 146 ट्रांसजेंडर मतदाता है। मुस्लिम बाहुल्य लोकसभा माने जाने वाली इस सीट पर, 24 प्रतिशत मुस्लिम, 27 प्रतिशत पिछडावर्ग, 18 प्रतिशत दलित, 13 प्रतिशत ब्राम्हण, 6 प्रतिशत कायस्थ, 6 प्रतिशत वैश्य और 3 प्रतिशत क्षत्रिय तथा बाकी में अन्य जातियां शामिल हैं। इस लोकसभा सीट के लिए कहा जाता है कि, जिस उम्मीदवार के तरफ ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता जाता है, वह जीतता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि, यहां के ब्राह्मण किस तरफ जाते हैं और मुस्लिम मतदाता किसको अपना वोट देकर संसद भवन के सिंहासन पर विराजमान करते हैं।

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