साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाएगी सरकार

आपको बता दें एटा की राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों का सात दिवसीय विशेष शिविर रोज अकेडमी स्कूल आगरा रोड में मनाया जा रहा हैं

कार्यक्रम के पांचवे दिन की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना के साथ की गयी |

वहीं कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको नें एन. एस. एस शपथ ली और गीत प्रस्तुत किया

आपको बता दें रोज अकेडमी में चल रहे 7 दिवसीय शिविर में आज का शिविरार्थियों चयनित कार्यक्रम स्थल पर रैली के माध्यम से स्वच्छता अभियान चलाया और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया स्वच्छता अभियान के उपरांत आज के वाई-20 हेल्थ वेल बीइंग एंड स्पोर्ट्स कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में जवाहरलाल नेहरू विद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. आसिफ कलीम उपस्थित रहे वही मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ. आसिफ कलीम ने कहा- कि सामान्य रूप से हम शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के अनुपात पर ध्यान नहीं देते हैं जिससे शरीर में कुपोषण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं |
दवाओं से पोषक तत्वों की आपूर्ति के बजाय हमें अपने डाइट चार्ट के माध्यम से पोस्टर को प्राथमिकता देनी चाहिए |डिब्बाबंद चीजों में पिजर्वेटिव मिले रहते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं हमें साबुन अनाज ताजे फलों और सब्जियों को प्राथमिकता देनी चाहिए मानसिक श्रम के साथ-साथ शारीरिक श्रम अवश्य करना चाहिए साथ ही मानसिक तनाव से बचना चाहिए

राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रथम इकाई के कार्यक्रम अधिकारी श्री संजय यादव ने कहा- कि विश्व क्षय रोग दिवस प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है जो टीबी पैदा करने के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज के लिए किया जाता है। सामान्यतः यह जीवाणु फेफड़े को दुष्प्रभावित करता है, जिससे शुरुआती चरण में इलाज न होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। विश्व क्षय दिवस का उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। भारत सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। यह बैक्टीरिया कभी-कभी फेफड़े के अतिरिक्त शरीर के दूसरे अंग को भी प्रभावित कर देता है तब उसे एक्स्ट्रा पलमोनरी ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं और जब शरीर के अधिकांश भागों को यह बैक्टीरिया प्रभावित कर देता है तो उसे डिसेमिनेटेड ट्यूबरकुलोसिस कहते हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग पाँच लाख लोग टीबी से काल के गाल में समा जाते हैं। भारत में टीबी संक्रमण की स्थिति अभी भी चिंताजनक है। प्रति एक लाख जनसंख्या में से 210 लोग टीबी पॉजिटिव पाए जाते हैं। टीबी के प्रमुख लक्षण- हल्का-हल्का बुखार का आना (विशेषकर शाम को), हमेशा थकान की अनुभूति होना, भूख न लगना, वजन कम होना, खांसी आना आदि हैं। सामान्यतः टीबी के लक्षण प्रकट होते हैं जिन्हें ओपन टीवी कहते हैं लेकिन कभी-कभी इनके लक्षण दिखाई नहीं पड़ते जिसे साइलेंट या गुप्त टीबी कहते हैं। प्रत्येक जिला मुख्यालय पर क्षय रोग अस्पताल बनाए गए हैं जहां टीबी के इलाज से पूर्व इसकी जांच कराना अति आवश्यक है। टीबी की जांच के लिए खाली पेट बलगम की जांच (sputum test) की जाती है। इससे इस बीमारी का पता लगाया जाता है। परंतु कभी-कभी इन बैक्टीरिया की उपस्थिति बलगम में नहीं मिल पाती तो एक्स -रे एवं रेडियोलॉजी के माध्यम से इनकी पहचान की जाती है। यदि जांच में व्यक्ति टीबी पॉजिटिव मिलता है तो उसे छह माह तक इलाज कराना पड़ता है, जिससे उसे Rifamicin, Isoniazid, combitol, pyrazinamide जैसी दवाएं खाने को दी जाती हैं। सामान्यतः इन दवाओं से व्यक्ति को आराम मिल जाता है परंतु इसके बाद भी यदि किसी व्यक्ति में दोबारा टीबी के लक्षण आ जाएँ तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति में टीबी के बैक्टीरिया पर दवाओं का असर नहीं हो रहा है। ऐसी टीबी को मल्टीड्रग रेजिस्टेंस(MDR) टीबी कहते हैं। इसका इलाज पुनः अठारह महीने चलता है। इस संबंध में हुई नये अनुसंधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में खोजी गयीं कुछ नई दवाएं इस रोग को कम समय में ठीक करने में सफल हुई हैं। टीबी होने के प्रमुख कारणों में से कुपोषण, तनाव, इम्यूनिटी सिस्टम का कमजोर होना, एचआईवी एवं डायबिटीज के रोगियों में संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना अधिक रहती है।

शिविर के दौरान सभी स्वयंसेवकों व स्वयंसेविकाओं ने सामान्य ज्ञान और स्वास्थ्य पर एक में सोत्साह प्रतिभाग किया।इसके अतिरिक्त वालेंटियर्स ने अनेक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। स्वयंसेवकों में सौरभ वर्मा, लोकेश सिंह, विशाल कुमार व अभिषेक तथा स्वयंसेविकाओं में अनामिका वार्ष्णेय, लक्ष्मी, अनन्या, सौम्या, निधि सोलंकी, शिवानी, राधा, छवि, गीता, चंचल, कनक आदि की प्रस्तुतियां विशेष सराहनीय रहीं।

इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉ. प्रवेश पांडेय, श्री विनोद आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) भारत भूषण सिंह परिहार ने सभी स्वयंसेवकों व स्वयंसेविकाओं के उत्साहपूर्ण प्रतिभाग के लिए उनकी सराहना की तथा
कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कार्यक्रम अधिकारियों श्री संजय यादव, श्रीमती जया गुप्ता एवं डॉ. रत्नेश कुमार मिश्र को बधाई दी।

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