अर्थव्यवस्था ने मंदी को पीछे छोड़ा

एनएसओ के मुताबिक, कोरोना काल की पाबंदियों के प्रभाव के चलते GDP वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून पहली तिमाही में -23.9 फीसदी रही थी, जबकि दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में यह थोड़ी सुधरकर -7.5 फीसदी रही थी. इस तरह भारत तकनीकी तौर पर मंदी की चपेट में आ गया था. रॉयटर्स के 58 अर्थशास्त्रियों के अनुमान में अगले साल विकास दर 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मौजूदा और अगले वित्त वर्ष में सरकारी खर्च, ग्राहकों की मांग और खपत बढ़ने के साथ आर्थिक गतिविधियां और तेज हो जाएंगे, जिसका असर जीडीपी विकास दर पर भी पड़ेगा.

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