मोदी के उदबोधन ने दी ‘कठपुतली’ को दी संजीवनी

भदोही,  इतिहास के पन्नो में लगभग समा चुकी ‘कठपुतली’ कला और इससे जुड़े कलाकारों को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदबोधन ने आक्सीजन दे दी है।


शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलौना मेला के सजीव उदबोधन को सुन भदोही के कठपुतली कलाकार चहक उठे हैं और दशकों से मकान के बड़ेरी पर धूल मिट्टी से सने पड़े कठपुतलियों के खिलौनों को एक बार फिर साफ-सुथरा करने में जुट गये हैं। भदोही शहर के मखदूमपुर नट एवं सपेरों की बस्ती में आज सुबह एक मड़हे में जमे लगभग 12 से नट परिवार प्रधानमंत्री का लाइव भाषण दूरदर्शन पर देख रहें थे।


भीड़ देख उत्सुकतावश यूनीवार्ता संवाददाता के कदम मड़हे के पास रूक गये। पूछने पर नट परिवार के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खिलौने मेले का उद्घाटन किया है। साथ ही कठपुतली कला के उत्थान को लेकर भी बताया है। श्री मोदी की पहल की सराहना करते हुए शराफत अली बताते हैं कि उसके पिता कई दशक पहले चैत्र माह में जब गेहूं कटने का समय होता था तो गांव में पहुंचकर कठपुतली नचाते थे।

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बदले में उन्हे अनाज और सम्मान मिलता था लेकिन वक्त के साथ ही साथ कठपुतली कला भी विलुप्त हो गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को सुनकर ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वजों की कठपुतली कला एक बार फिर जीवित हो जायेगी। शराफत अली बात करते हुए खपरैल के मकान के बड़ेरी पर रखी दो जोड़ी कठपुतली खिलौना ले आये और पोछते हुए उसके आंखो से आंसू निकल पड़े।


शराफत नट बताता है कि महमूदपुर के इस बस्ती में कठपुतली नचाने वाले लगभग तीन दर्जन परिवार रहते थे। लेकिन अब तो न कठपुतली देखने वाले हैं और न ही इस कला को सजोने वाले जिससे अब धीरे-धीरे यह परिवार सपेरों के बस्ती के रूप में बदल गया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से सपेरों के बस्ती के लोगों को अब उम्मीद है कि कठपुतली कला की पुरानी परंपरा अब एक बार फिर जिवित हो जायेगी।

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