योगी बंद कर रहे हैं “यश भारती”, अब क्या करेंगे अखिलेश !

योजनाओं और पुरस्कारों को लेकर एक बार फिर से अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ आमने सामने आ गए है। उधऱ अखिलेश यादव ने गुजरात में झुग्गी बस्तियों को छिपाने वाली दीवार पर कटाक्ष क्या किया। इधर योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के एक और ड्रीम प्रोजेक्ट पर कैंची चला दी। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अखिलेश सरकार के महत्वाकांक्षी यश भारती पुरस्कार पर पहले ही कैंची चला दी थी। यहां तक की यश भारती से सम्मानित लोगों को दी जाने वाली मासिक पेंशन भी बंद कर दी थी। अब योगी सरकार ने इस पुरस्कार को ही पूरी तरह से खत्म कर दिया है और यश भारती पुरस्कार की जगह शुरु करने जा रही है राज्य सस्कृति पुरस्कार और अखिलेश सरकार में शुरु हुई यश भारती पुरस्कार कोई पहली योजना नही है जिसे योगी आदित्यनाथ ने बंद कर दिया हो बल्कि अखिलेश सरकार में शुरु हुई।

समाजवादी किसान,सर्वहित योजना
यश भारती अवार्ड
कृषक दुर्घटना बीमा योजना
भूमि सेना योजना
लोहिया ग्रामीण आवास योजना
इंदिरा आवास योजना
आई स्पर्श योजना
डा.राम मनोहर लोहिया नलकूप योजना
फ्री लेपटांप योजना
इनोवेशन सेल, इनोवेशन पुरस्कार और स्टेट इनोवेशन फंड योजना
समाजवादी पेंशन योजना
कब्रिस्तान की चारदिवारी बनाने की योजना
-समाजवादी स्वास्थय बीमा योजना

ऐसी 13 योजनाएं है जिसे योगी सरकार ने अपने राज में खत्म कर दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार के तहत 6 लाख रुपये, वहीं अन्य बड़ी शख्सियतों के नाम पर दिए जाने वाले 23 पुरस्कारों के तहत 2-2 लाख रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। यश भारती पुरस्कार के दायरे में फिल्म, आकाशवाणी, निर्देशन, साहित्य विज्ञान और खेल आदि विधाएं भी आती थीं। अब इन क्षेत्रों को नए पुरस्कार से बाहर कर दिया गया है। इनकी जगह नए पुरस्कार में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, आधुनिक और परंपरागत कला, रामलीला, लोक बोलियां, लोक गायन, लोक नृत्य, नौटंकी, मूर्तिकला आदि को शामिल किया जाएगा. गौरतलब है कि यश भारती, मुलायम सिंह यादव सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम में से एक था. मुलायम सरकार की विदाई के बाद आई बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने इसे बंद कर दिया था। बाद में अखिलेश सरकार ने इसे फिर शुरू किया। तब रेवड़ियों की तरह पुरस्कार बांटने का आरोप लगा था। इस पुरस्कार के तहत दी जाने वाला मासिक पेंशन को लेकर भी भाजपा हमलावर रही है। योगी सरकार ने पहले ही यश भारती पुरस्कार के तहत दी जाने वाली पेंशन बंद कर दी थी।
किसी को घर जाकर दिया तो किसी ने खुद ही मांग लिया। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने दूसरे मुख्यमंत्रितत्वकाल एक लाख रुपए का यशभारती पुरस्कार शुरू किया। उन्होंने प्रख्यात कवि डॉ. हरिवंशराय बच्चन को उनकी बीमारी के कारण खुद मुंबई जाकर यह सम्मान दिया था। वहीं एक फिल्मकार ने उसी दौर में मुलायम को चिळी लिख यशभारती खुद को दिए जाने की मांग रखी थी और मुलायम ने उन्हें भी यशभारती से नवाजा था। खास बात यह कि इसके बाद भाजपा बसपा गठबंधन सरकार का लंबा दौर चला। इस दौरान यशभारती पुरस्कार बंद कर दिए गए। मुलायम जब तीसरी बार 2003 में सीएम बने तब फिर यशभारती का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद बसपा सरकार में पूरे पांच साल यह पुरस्कार नहीं बाटे गए। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यशभारती पुरस्कार न केवल फिर शुरू करवाए बल्कि इसकी रकम भी 11 लाख रुपए कर दी।

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