थम नही रहा है कार्यवाही का चाबुक……

  • इन्द्रकांत के भाई की तहरीर पर पांच के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा गवाह बना थाना कबरई
  • तत्कालीन एसपी मणीलाल पाटीदार थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला समेत तीन अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में लिखी गई एफआईआर
  • भृष्टाचार अधिनियम की धारा 7 और 13 समेत 307, 387, 120-B के अंतर्गत लिखा गया मुकदमा
  • इससे पहले भी आईपीएस मणीलाल के खिलाफ शहर कोतवाली में दर्ज हो चुका है मुकदमा
  • यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए है भृष्टाचार में शामिल एसपी पाटीदार के खिलाफ विजलेंस और संपत्ति के जांच कराने के आदेश

 

रितुराज राजावत
    पत्रकार रितुराज राजावत

महोबा : भृष्टाचार की रोकथाम में नाकाम साबित हो चुकी योगी सरकार अब भृष्टाचार और उससे जुड़े मामलों को लेकर खासी सख्त नजर आ रही है । कार्यवाही का चाबुक भी नॉनस्टॉप चलाया जा रहा है उदाहरण के तौर पर आईपीएस अधिकारी मणीलाल पाटीदार पर की जाने वाली कार्यवाही को लिया जा सकता है । गुजरे एक वर्ष से उत्तर प्रदेश के जनपद महोबा में करेपशन का बिगुल फूंक रहें पाटीदार पर जिस तरह से एक के बाद एक सख्त कार्यवाही का चाबुक चलाया जा रहा वो अपने आप में प्रदेश सरकार के लिए किसी उपलब्धि से कम नही है । अभी हाल ही में कबरई थानाक्षेत्र में हुए गोलीकांड को लेकर तत्कालीन आईपीएस अधिकारी मणीलाल पाटीदार और तत्कालीन थानाध्यक्ष कबरई देवेंद्र शुक्ला समेत तीन अन्य पर विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत त्रिपाठी के भाई द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है ।

बात चाहे ओवरलोड ट्रकों से अवैध उगाही की हो या फिर विस्फोटक कारोबारियों से जबरन वसूली किए जाने की निलंबित आईपीएस मणीलाल का नाम जोर शोर के साथ संपूर्ण प्रदेश में सुर्खियों में छाया हुआ है । एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ भृष्टाचार अधिनियम की धारा 7 और 13 समेत 307, 387, 120-B जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज होना अपने आप में एक गंभीर विषय तो है ही साथ ही साथ शर्मनाक भी माना जा रहा है । जनपद महोबा के पुलिस इतिहास में ये अपने आप में एक अकेला प्रकरण है जहां पदासीन पुलिस अधिकारी के विरुद्ध इस प्रकार की कड़ी कार्यवाही अमल में लाई गई है । निलंबित आईपीएस पाटीदार पर इसके अलावा भी विजलेंस और सम्पत्ति की जांच किये जाने के आदेश सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए जा चुके हैं ऊपर से शहर कोतवाली और कबरई थाने में दर्ज होने वाले दो भयावह मुकदमें निलंबित पुलिस अधीक्षक मनीलाल के गले की फांस बनतें साफ तौर पर नजर आ रहें हैं ।

विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत पर होने वाले जानलेवा हमले को लेकर जनता के बीच खासी नाराजगी देखने को मिल रही है । 09 सितंबर को इन्द्रकांत द्वारा शोशल मीडिया के माध्यम से बुलाई गई प्रेस वार्ता से एक दिन पूर्व विस्फोटक व्यापारी को कबरई बांदा राजमार्ग पर संदिग्ध परिस्थितियों में घायल पाया गया था वो भी तब जब इन्द्रकांत पुलिस अधीक्षक पाटीदार पर भृष्टाचार और अवैध उगाही समेत आईपीएस मनीलाल पर स्वम् की जान माल का खतरा जैसे गंभीर आरोप की गवाही सीना ठोक कर वायरल वीडियो के माध्यम से आम जनता के बीच पहुचा रहे थे । खाकी पर लगने वाला ये धब्बा इतिहास में अब तक का सबसे बदनुमा काला दाग माना जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत की हालत चिकित्सकों द्वारा गंभीर बताई जा रही है ।

गले के आर पार होकर गुजरी गोली से इन्द्रकांत की जिंदगी और मौत की जंग अभी तक जारी है । निलंबित एसपी और तत्कालीन थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला पर न सिर्फ भृष्टाचार अधिनियम के चार्ज लगाए गए हैं बल्कि हत्या की कोशिश और षणयंत्र बना कर घटना को अंजाम देने तक कि धारा का उल्लेख प्रथम सूचना रिपोर्ट में दर्ज किया गया है । प्रताड़ना की चरम सीमा का सामना करने वाले विस्फोटक व्यापारी को भविष्य में कितना न्याय मिलता है ये अपने आप में देखने लायक होगा लेकिन हाल फिलहाल पुलिसिया रौब की परिकाष्ठा के प्रमाण के रूप में कबरई गोलीकांड को लिया जा रहा है ।

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