भारतीय बैंको को रहना होगा सतर्क, भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोले पूर्व वित्त मंत्री और RBI गवर्नर

भारत में गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को बड़ा बयान दिया है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान के एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि इस आर्थिक मंदी से वे चिंतित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने में कुछ भी गलत नहीं है। कुछ चीजें हो रही हैं जिनके अपने प्रभाव होंगे। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी यूपीए सरकार(2004 – 2009) में वित्त मंत्री भी रह चुके हैं।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि 2008 में वित्तीय संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने पूंजी के लिए उनसे संपर्क नहीं किया था। अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ गलत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत जरूरी है। इसके साथ ही लोकतंत्र में आंकड़ों की शुचिता भी उतनी ही अहम है। मुखर्जी ने कहा, आंकड़ों की शुचिता बनाए रखनी चाहिए, अन्यथा विनाशकारी प्रभाव होंगे।

गौरतलब है कि इन दिनों देश की अर्थव्यवस्था गिरती नज़र आ रही है। वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी पिछले छह साल के सबसे निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। ऐसे में बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से चुनौतियों के तैयार रहने को कहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियो के चलते बैंकों के सामने कुछ चुनौतियां आ सकती है, ऐसे में बैंकों को पूरी मुस्तैदी के साथ इनका मुकाबला करने के लिये तैयार रहना चाहिए। बता दें कि देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्रीय वित्त के बयानों की भी आलोचना हो रही है।

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