संप्रभुता पर चोट बर्दाश्त नहीं करेगा नेपाल, जानें पूरा मामला

हाल ही में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के एक बयान ने भारत की राजनीति के साथ-साथ पड़ोसी देशों की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है | मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक कुछ दिन पूर्व एक सार्वजनिक कार्यक्रम में विप्लव कुमार देव द्वारा सार्वजनिक तौर पर यह कहा गया कि अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए यह बताया था कि भाजपा की नेपाल और श्रीलंका समेत पड़ोसी देशों में अपनी सरकार बनाने की योजना है | इस बयान के आते ही नेपाल द्वारा भारतीय विदेश मंत्रालय के समक्ष नाखुशी जताई गई है और भारतीय पक्ष से स्पष्टीकरण की मांग भी की है | निश्चित रूप से भारतीय विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त अन्य राजनैतिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा यदि इस तरह का बयान दिया जाता है तो यह शर्मनाक है | इस तरह के अनुचित बयानों पर रोक लगाने की भी आवश्यकता है जिससे किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों में कभी भी दूरी ना बढ़ने पाए |

यह बयान ऐसे समय में आया है जब नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है | दिसंबर माह में ही नेपाली राष्ट्रपति द्वारा नेपाली संसद को भंग किया गया है | हालांकि अभी भी केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री पद की भूमिका में बने हुए हैं | वर्तमान समय में नेपाल की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में ओली और प्रचंड गुट में खींचतान चल रही है | ऐसे समय में इस तरह के बयान पार्टी को एकजुट कर सकते हैं | आपको बताते चलें कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा रहता है | ऐसे में यदि आगामी चुनावों में यह पार्टी पुनः सत्ता में आती है तो भारत के लिए समस्याएं बढ़ेंगी | भारत के राजनैतिक गलियारों से नेपाल की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाले बयान कम्युनिस्ट पार्टी को एक नई संजीवनी प्रदान कर सकते हैं | वर्तमान समय में नेपाल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी, नेपाली कांग्रेस, पीएसपीएन, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी 275 सदस्यीय सदन में अपने प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार नेपाली जनमानस को लुभाने का प्रयास कर रही हैं | नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा इसको एक मुद्दे के रूप में स्थानीय जनमानस में प्रसारित करने का प्रयास भी किया जा रहा है जिससे उनको आगामी चुनाव में बढ़त मिल सके |

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त्रिपुरा के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान के बाद सियासी गलियारों से गृह मंत्री के बयान को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं | निश्चित रूप से इस बयान के बाद भारत-नेपाल और भारत-श्रीलंका संबंधों में दूरियां बढ़ना तय हैं | नेपाल इसको आंतरिक हस्तक्षेप मानता है और लगातार नेपाली नेतृत्व द्वारा भारतीय शीर्ष नेतृत्व से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है | पिछले कुछ वर्षों से भारत नेपाल संबंध बेहतर नहीं रहे हैं फिर भी मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा नेपाल के साथ संबंधों को मधुर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं | अभी हाल ही में नेपाल के तीन क्षतिग्रस्त सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए 50 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा भारत सरकार द्वारा घोषणा की गई है | यह सांस्कृतिक धरोहर नेपाल में भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त हुए थे | इसके अतिरिक्त भारत लगातार नेपाल के अवसंरचना विकास कार्यक्रमों में मदद करता रहा है | कला और संस्कृति लोगों को समीप लाने का एक बेहतर माध्यम है और इन्हीं के माध्यम से भारत सरकार दोनों देशों के नागरिकों को समीप लाने का प्रयास कर रही है | ऐसे में इस तरह के बयान निश्चित रूप से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रभावित करेंगे और इससे दोनों देशों के बीच में दूरियां बढ़ना लाजिमी है | क्योंकि आज के समय में कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी देश का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता है | इस गैर जिम्मेदाराना बयान के बाद अभी तक सिर्फ नेपाल से प्रतिक्रिया आई है | श्रीलंका के संबंध में अभी तक कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है | फिर भी भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा की द्विपक्षीय संबंधों और विदेश नीति से संबंधित मुद्दों पर विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त अन्य किसी भी राजनैतिक व्यक्ति द्वारा कोई भी टिप्पणी ना की जाए | इसके अतिरिक्त शीघ्र ही भारतीय शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार अफवाह संबंधित देश में ना फैलाई जा सके |

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