मायावती की अखिलेश यादव के वोट बैंक पर पड़ गई है नज़र , बट जाएंगे यादव ?

उत्तर प्रदेश में बीजेपी  के बाद अब बसपा ने भी समाजवादी पार्टी  के यादव वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर ली है. दरअसल, भारतवर्षीय यादव महासभा की कमान लंबे वक्त से सपा से जुड़े नेताओं के हाथों में रही है.

उत्तर प्रदेश में बीजेपी  के बाद अब बसपा ने भी समाजवादी पार्टी  के यादव वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर ली है. दरअसल, भारतवर्षीय यादव महासभा की कमान लंबे वक्त से सपा से जुड़े नेताओं के हाथों में रही है. लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है. अब अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा पर सपा नेता का कब्जा नहीं रहा है. सपा नेताओं की जगह अब बसपा सांसद ने ले ली है.

बीते दिनों गुजरात के द्वारका में अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा की बैठक हुई थी. कोलकता की डॉ. सगुन घोष को महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. जबकि बसपा सांसद श्याम सिंह यादव कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. अब महासभा के संगठन के शीर्ष पदों पर हुए इस बदलाव को सपा के लिए झटका माना जा रहा है.

इनके हाथों में रही है कमान
अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा की स्थापना 1924 में की गई थी. तभी से ज्यादातर इसकी कमान यूपी के नेताओं का हाथों में रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस महासभा के नेताओं का सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को बढ़ाने में खास योगदान रहा है. पहले चौधरी हरमोहन सिंह और उसके बाद 2008 से अब तक पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह ने इस पद पर कब्जा बनाए रखा है.

इसके बाद माना जा रहा है कि सपा के लिए अगले लोकसभा चुनाव से पहले मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. एक ओर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव लगातार सपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने में लगे हुए हैं. वहीं अब दूसरी ओर यादवों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा में भी सपा को झटका लगा है.

बताया जाता है कि इस महासभा के आंदोलनों ने हमेशा सपा को फायदा पहुंचाया है. बता दें कि पिछले महीने ही पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह इस महासभा में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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