जानिए मोदी जी अपने संसदीय क्षेत्र में देते हो कितना समय, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समय हमेशा व्यस्त रहता है यह तो जाहिर सी बात है, वह देश के प्रधानमंत्री हैं और उनका हर पल बहुत ही कीमती हैं, देश के तमाम बड़े फैसलों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है और प्रधानमंत्री मोदी का हर सेकंड लगभग कई हफ्तों या महीनों पहले ही तय हो जाता है, इस बीच में भी नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र यानी जहां से वह सांसद चुनकर प्रधानमंत्री बने हैं, वाराणसी को कितना याद करते हैं,

आपको लगेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इतना व्यस्त रहते हैं तो शायद ही उनको अपने संसदीय क्षेत्र पर उतना ध्यान देने का मौका मिल पाता होगा, मगर आप पर्दे की पीछे की हकीकत जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस का उतना दौरा नहीं कर पाते होंगे जितना आम सांसद अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करते हैं, मगर प्रधानमंत्री के लिए भी अपने संसदीय क्षेत्र पर निगाहें बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है

बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र को कितना समय देते हैं, आइए अब आपको हम बताते हैं कि मोदी अपने संसदीय क्षेत्र को कितना समय देते हैं

विशेष सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर हफ्ते पांच से छह बार बनारस में फोन औसतन जरूर कर लेते हैं

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अब आप यह सोचेंगे कि आखिर नरेंद्र मोदी, इतने व्यस्त समय में समय निकालकर हर हफ्ते 5 से 6 बार फोन बनारस में किसे करते हैं

तो आइए आपको हम बताते हैं कि प्रधानमंत्री औसतन हर हफ्ते 5 से 6 बार अपने बनारस के विकास कार्यों से लेकर बनारस के लोगों का हाल-चाल जानने के लिए किसके पास फोन करते हैं

विशेष सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र के कभी नेताओं को फोन करते हैं, तो कभी कार्यकर्ताओं को, कभी समाज सेवकों को फोन करते हैं, तो कभी अधिकारियों को, कभी वरिष्ठ लोगों को फोन करते हैं, तो कभी संगठन की सक्रिय लोगों को, हर क्षेत्र के लोगों से प्रधानमंत्री फोन करके अपने संसदीय क्षेत्र का हाल-चाल जरूर ले लेते हैं

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे देश की जिम्मेदारी मिली हो मगर वह अपने संसदीय क्षेत्र की भी जिम्मेदारी को नहीं भूलते हैं

वहीं दूसरी तरफ बनारस के लोगों ने भी बनारस को क्यूटो देखने का मन बना लिया है, मगर सरकार बनारस को क्योटो कब तक बनाएगी इस बात का कोई पता नहीं

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