झामुमो बिहार में महागठबंधन से हुआ अलग, सात सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान

रांची। बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन से अलग हो गया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में महागठबंधन से अलग होने की जानकारी दी । भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में समस्याओं की बाढ़ है और इसे लेकर हमारी तैयारी थी कि हम बिहार में महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। हम चाहते थे कि भाजपा को मिलकर बिहार में भी रोका जाये। लेकिन राजनीति में परिस्थितियां बहुत बदल जाती हैं। उन्होंने कहा कि राजद के आज का नेतृत्व पुरानी चीजों को याद नहीं रखना चाहता है और झामुमो सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता है।
भट्टाचार्य ने कहा कि राजद ने राजनीतिक मक्कारी की है और बिहार में भी चुनाव लड़ने के लिए हमें खैरात की जरूरत नहीं है। बल्कि इसके लिए जनता का समर्थन चाहिए ना कि राजद का। भट्टाचार्य ने ऐलान किया कि बिहार में झामुमो सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमने 12 सीटों पर तैयारी की थी, लेकिन अब सात सीट पर ही चुनाव लड़ेंगे और जीत भी हासिल करेंगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने निर्णय लिया है कि झाझा,चकाई,कटोरिया ,धमदाहा,मनिहारी,पीरपैंती और नाथनगर से हम चुनाव लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी। भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में पूरे दमखम के साथ हम चुनाव लड़ेंगे। भले ही सीटें कम है। उन्होंने कहा कि राजद को 144 सीटें मुबारक हो। लेकिन उन्हें हमारी जरूरत पड़ेगी क्योंकि बिहार में बहुकोणीय मुकाबला है।
भट्टाचार्य ने कहा कि अपने संगठन के बूते ही बिहार में निर्णायक सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे, और जिस सीट पर हम लड़ेंगे वहां से जीतेंगे। भट्टाचार्य ने राजद को सलाह दी कि आप राजनीतिक शिष्टाचार भूल चुके हैं। झारखंड में राजद की हैसियत से ज़्यादा हमने लोकसभा और विधानसभा में टिकट दिया । उन्होंने कहा कि राज्य में बुझे हुए राजद के प्रदेश कार्यालय में हमने दिया जलाने का काम किया। ये सबकुछ राजद के नये नेता कैसे भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम लालू प्रसाद यादव का सम्मान करते हैं और करते रहेंगे। लालू सामाजिक न्याय और राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं लेकिन बिहार चुनाव में ऐसा क्यों नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि बिहार में महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा था कि राजद 144 और कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। साथ ही कहा था कि झामुमो पर दो दिनों में निर्णय लिया जायेगा। लेकिन जब कोई फैसला नहीं हुआ तो झामुमो ने अकोलो चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

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