भाकपा के दिग्गज नेता डी. पांडियन का निधन

चेन्नई,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वयोवृद्ध नेता डी. पांडियन का लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार सुबह राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।

 पांडियन गुर्दे की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और उनका नियमित हीमोडायलिसिस चल रहा था। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि उन्हें बेहोशी की अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कल रात उनकी हालत बहुत गंभीर हो गयी और जीवन रक्षक प्रणाली पर रखे जाने के बावजूद सुबह करीब 1015 बजे उनका निधन हो गया।
भाकपा के सूत्रों ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर लोगाें के दर्शन के लिए पार्टी कार्यालय में रखा जायेगा। बाद में शनिवार को उसे मदुरै ले जाया जायेगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।

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 पांडियन तीन बार भाकपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष नियुक्त किये गये तथा दो बार लोकसभा के लिए चुने गये थे। उन्हाेंने आठ किताबें लिखी हैं और छह उपन्यासों का अनुवाद किया है। वह 1983 से 2000 तक और 2015 से तीन कार्यकाल के लिए भाकपा के राज्य सचिव भी रहें। वह बहुत कम उम्र में भाकपा के राष्ट्रीय सचिव बन गये थे और हमेशा श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए प्रयासरत रहें।

अपने लेखन कौशल के लिए विख्यात  पांडियन ने पार्टी के मुखपत्र ‘जनशक्ति’ में लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया और जीवन पर्यंत उसके लिए लिखते रहें।द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन, भाकपा के राज्य सचिव आर मुथरासन, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव के. बालाकृष्णन, कांग्रेस नेता पीटर अल्फोंस, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के एस अलागिरी, अन्ना द्रमुक के उप समन्वयक के पी मुनुसामी, वीसीके नेता टी. तिरुमावलवन और एमडीएमके महासचिव वाइको विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने  पांडियन के निधन पर शोक व्यक्त किया और इसे राज्य के लिए बड़ी क्षति बताया।

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