सपा के एक और नेता ने पार्टी छोड़ने का किया फैसला, भाजपा को लेकर कही ये बात

स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा ज्वाइन करने के बाद इस नेता का मोहभंग, अखिलेश यादव को बताया अहंकारी  

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सपा में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. एक तरफ रामपुर के सपा विधायक आजम खान के समर्थक अखिलेश यादव के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ शिवपाल सिंह यादव भी उन्हें खुली चुनौती देते नजर आ रहे हैं. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्या के भतीजे विनोद मौर्य के बाद अब एक बार सपा नेता ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. जानकारी के मुताबिक ताजा मामला पूर्व एमएलसी व वरिष्ठ नेता हरपाल सैनी का है. उन्‍होंने मेरठ में सपा को छोड़ने का ऐलान कर दिया.

सपा छोड़ने के बाद मीडिया से बात करते हुए हरपाल सैनी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अहंकारी नेता बताया है. इसके साथ उन्होंने यहां तक कह दिया कि सपा में जाना उनका गलत फैसला था. जानकारी के मुताबिक कई पार्टियों में रह चुके हरपाल सैनी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा का दामन थामा था. इस बीच सपा छोड़ने के बाद अब उनको मौर्य की सांप नेवले वाली भाषा भी खराब लग रही है. उन्होंने कहा कि वह अपना अगला निर्णय कुछ दिनों बाद बताएंगे कि कहां जा रहे हैं. वैसे सैनी ने बीजेपी राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी पार्टी जरूर करार दिया है. गौरतलब है कि हरपाल सैनी वेस्ट यूपी के कद्दावार नेता माने जाते हैं. जबकि वह कई राजनीतिक पार्टियों का हिस्सा रह चुके हैं.

सरधना में सपा को दिलाई जीत

हरपाल सैनी ने मेरठ में शास्त्री नगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सपा के लिए जी जान लगाई और सरधना सीट पर जीत भी दिलाई. उन्होंने कहा कि वह 35 साल से पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार एक्टिव हैं. सदन में विधान परिषद में दल का नेता रहे थे. विभिन्न समितियों के सभापति रहने का भी सौभाग्य भी उन्हें मिला है. सैनी ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले उन्होंने बीजेपी छोड़कर गलती की थी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा  कि सरधना विधानसभा के चुनाव में सपा ने मुझे जिम्मेदारी दी थी. मैंने अति पिछड़ों के हजारों लोगों की रैली कर सरधना से सपा का विधायक बनवाया, लेकिन अब मुझे लग रहा है कि सपा सम्मानीय कार्यकर्ताओं की पार्टी नहीं है. यह केवल चापलूसों और दागियों की पार्टी है, इसलिए उनका इस पार्टी से मोहभंग हो चुका है.

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