अमेठी में बनी AK-203 असाल्ट राइफल सेना को हो रही है समर्पित।

अमेठी में बनी AK-203 असाल्ट राइफल सेना को हो रही है समर्पित।

 

 

अमेठी में बनी AK-203 असाल्ट राइफल सेना को हो रही है समर्पित।

रिपोर्टर  – दिलीप यादव

अमेठी देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाली अमेठी अब आधुनिक हथियार के क्षेत्र में विकसित हो रही है। वैसे तो अमेठी की सियासी पहचान गांधी परिवार से प्रारंभ हुई और अब केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी अमेठी की पहचान बनी हुई हैं। लेकिन अब देश की हिफाज़त करने वाले रणबांकुरों के हाथ में लहराने वाली असाल्ट AK-203 भी इस जिले की याद दिलाएगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेठी में निर्मित दुनिया की बेहतरीन राइफलों में शुमार AK- 203 राइफल्स की पहली खेप को सेना के सुपुर्द किया है।

बता दें कि साल 2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी से जब यह ऐलान किया था कि अब से जिले की पहचान AK-203 राइफल होगी तब भले ही विरोधियों ने इसे महज़ जुमला कहा हो लेकिन आज तीन साल बाद यह अक्षरशः सत्य है। यहां भारत और रूस के संयुक्त तकनीकि सहयोग से दुनिया की बेहतरीन राइफलों में शुमार AK- 203 राइफलों का उत्पादन किया जा रहा है। AK-203 राइफल सैनिकों के लिए लिए किसी वरदान से कम नहीं। रूस के तकनीकि सहयोग से देश में निर्मित यह राइफल अब सेना के हाथ मे आ गई है। इसको देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे सेना को सौंप दिया है। फिलहाल हाल ही में मिली 5 लाख राइफलों के उत्पादन की मंजूरी के बाद यहां पूरी गति से काम जारी है। अमेठी के एचएएल कोरवा परिसर में बनी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की राइफल अब अमेठी की पहचान बन रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त जो कहा था वह तब लोगों को समझ में आया, जब यहां रूस के सहयोग से बनने वाली दुनिया की सबसे अत्याधुनिक AK-203 राइफलों के उत्पादन की मंजूरी मिली ।AK- 203 असॉल्ट राइफल कलाश्निकोव सीरीज की सबसे आधुनिक और घातक राइफल है। 7.62 X 39mm कैलिबर वाली AK-203 राइफल तीन दशक पहले शामिल इंसास राइफल (INSAS Rifle) की जगह लेंगी। ये असॉल्ट राइफल्स घुसपैठ तथा आतंकवाद रोधी अभियान में भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाएंगे। इंसास राइफल की तुलना में AK-203 असॉल्ट राइफल छोटी, हल्की और ज्यादा घातक है। AK-203 का वजन 3.8 किलोग्राम है, जबकि इंसास राइफल का वजन बिना मैगजीन और बेयोनेट के भी 4.15 किलोग्राम होता है। वहीं इंसास की लंबाई 960 मिलीमीटर होती है, जबकि AK-203 बस 705 मिलिमीटर लंबी है।

 

 

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