72 साल पहले आज के दिन भारतीय फुटबॉल टीम ने खेला था पहला अंतरराष्ट्रीय मैच, नंगे पैर खेलने उतरी थी टीम

भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल ही नहीं बल्कि एक धर्म बन गया। लोग क्रिकेटर्स को इतना ज्यादा पसंद करते हैं कि जब भी वर्ल्ड कप का मुकाबला होता है तो भारतीय टीम के लिए घरों में पूजा तक की जाती है। लेकिन अगर भारतीय फुटबॉल की बात करें तो ऐसा नजारा बहुत कम देखने को मिलता है। भारत में फुटबॉल को बहुत महत्व नहीं दिया जाता है। हालांकि भारत के कई हिस्से ऐसे हैं जहां पर क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल को पसंद किया जाता है। भारतीय फुटबॉल टीम आज के समय में वह मुकाम हासिल करने के सपने देखती है जो आज एक क्रिकेट टीम कर रही है। भारत में फुटबॉल बहुत ज्यादा नहीं खेला जाता है लेकिन यह खेल पूरी दुनिया भर में लोगों के दिलो में बसता है। आज का दिन यानी 31 जुलाई भारतीय फुटबॉल के लिए बहुत खास दिन है।

भारतीय फुटबॉल में 31 जुलाई एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और यह दिन भारतीय फुटबॉल के सुनहरे दिनों कि याद भी दिलाता है। इसी दिन भारत में अपना पहला आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। उसने यह मुकाबला किसी ऐसे वैसे टूर्नामेंट में नहीं बल्कि 1948 के ओलंपिक में फ्रांस के खिलाफ खेला था। आज फ्रांस की टीम बेहतरीन टीमों में से एक मानी जाती है। लेकिन भारतीय टीम भी उस समय अच्छी होती थी। उन दिनों भारतीय टीम नंगे पैर फुटबॉल खेलती थी और लंदन में खेले गए ओलंपिक के उस मैच में भी भारत के ज्यादातर खिलाड़ी बिना जूते के ही मैदान में उतरे थे।


भारत को फ्रांस के खिलाफ 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन टीम ने अंतिम समय तक संघर्ष किया और फ्रांस को कड़ी चुनौती दी। वह भारतीय टीम कमाल की टीम थी जिसने नंगे पैर फ्रांस जैसी टीम को टक्कर दी और एक गोल भी दागा। इस मुकाबले फ्रांस की ओर से 30 मिनट में पहला गोल किया गया था। भारतीय टीम ने 17 मिनट में सारंगपानी रमण के गोल की बदौलत 1-1 से बराबरी भी कर ली थी लेकिन मैच के अंतिम समय पर 89 वें मिनट में फ्रांस ने गोल कर मैच अपने नाम कर लिया था। बताया जाता है यह बहुत कांटे की टक्कर का मुकाबला था।

वहीं इसके साथ ही मैसूर स्टेट पुलिस फुटबॉल टीम के सारांगपानी रमण ने बड़ी उपलब्धि भी हासिल की थी। बेंगलुरु के इस फॉरवर्ड प्लेयर ने भारत की ओर से पहला अंतरराष्ट्रीय गोल करने का कीर्तिमान रचा था। जो कि एक बेहतरीन खिलाड़ी माने जाते थे।

भारतीय फुटबॉल सिर्फ इतने तक ही नहीं रुकी थी। वह फुटबॉल टीम गोल करना भी जानती थी और जितना भी। 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय कर लिया था। तब अंतिम चार के मुकाबले में भारत को युगोस्लाविया ने 4-1 से मात दी थी। साथ ही भारतीय टीम ने 1950 में भी ब्राजील में हुए फीफा वर्ल्ड कप में क्वालीफाई कर लिया था। लेकिन भारत को टूर्नामेंट में खेलने का अवसर नहीं मिल पाया। हालांकि अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि भारत को उस टूर्नामेंट में खेलने का मौका क्यों नहीं मिला था।

इस मामले से जुड़ी कई बातें भी सामने आई है कि भारतीय टीम तब नंगे पैर फुटबॉल खेलने उतरती थी जिसकी वजह से विश्व कप में उन्हें खेलने की इजाजत नहीं मिल पाई थी। फीफा का नियम था कि उनके सभी टूर्नामेंट में जूते अनिवार्य होंगे। हालांकि कुछ लोग इसे एक अफवाह ही बताते हैं। फुटबॉल के जानकार और पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि उस समय इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने खिलाड़ियों को ब्राजील भेज पाते। हालांकि यह भी कहा जाता है कि भारतीय खिलाड़ियों ने अभ्यास नहीं किया था और वे वर्ल्ड कप से ज्यादा ओलंपिक को तरजीह देते थे। इसलिए उन्होंने वर्ल्ड कप खेलने से इंकार कर दिया था।

रिपोर्ट – चेतन कुमार

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