तालिबान से परेशान पाकिस्तान:कबायली इलाकों में बढ़े ISIS-K और तहरीक-ए-तालिबान के हमले

फोन पर कर रहे हैं हफ्ता वसूली

आतंकवाद का पनाहगार पाकिस्तान खुद भी इसके शिकंजे से आजाद नहीं है। यहां पलने वाले आतंकी यहां के लोगों को भी निशाना बनाते हैं। पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता काबिज होने और इस्लामिक स्टेट खुरासान की बढ़ती गतिविधियों का असर अब पाकिस्तान पर भी पड़ रहा है।

BBC की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में बढ़ती हिंसक घटनाओं को लेकर इस्लामाबाद की एक शोध संस्था ‘पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज’ (PIPS) ने आंकड़े जुटाए हैं। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक़, इस साल पाकिस्तान में हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है।

पाकिस्तान में आतंक की बढ़ती वारदातों के पीछे अफगानिस्तानी तालिबान के नक्शेकदम पर चलने वाला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आतंकी संगठन का हाथ है। यह संगठन पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहता है, ठीक वैसे ही जैसे अफगानिस्तान में तालिबान ने किया है।

सात कबाइली जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
ये आतंकी वारदातें सबसे ज्यादा पाकिस्तान के सात कबाइली इलाकों में हो रही हैं। इनमें ओरकजई, बाजौर, मोहमंद, खैबर, कुर्रम, उत्तरी वजीरिस्तान और दक्षिण वजीरिस्तान शामिल हैं।

एक साल में हुए 95 हमले
PIPS के आंकड़ों बताते हैं कि TTP ने पाकिस्तान में पिछले साल 95 हमले किए थे, जिनमें 140 लोगों की जान गई थी। इस साल के शुरुआती छह महीनों में 44 हमले हुए। जैसे-जैसे तालिबान अफगानिस्तान को कब्जाता चला गया, वैसे-वैसे पाकिस्तान में TTP की आतंकी गतिविधियां बढ़ती चली गईं। जुलाई-सितंबर के बीच इस समूह ने यहां 44 और हमलों को अंजाम दिया, जिनमें 73 लोग मारे गए। मारे गए लोगों में से ज्यादातर पाकिस्तानी पुलिस और प्रशासन के लोग थे।

इलाकों में डर और तनाव का माहौल
सिर्फ हिंसा ही नहीं, इन कबीलाई इलाकों में कई महीनों से तनाव और डर का माहौल बना हुआ है। कई नागरिकों का कहना है कि उन्हें अफगानी और पाकिस्तानी नंबरों से पैसों की मांग करने वाले कॉल आ रहे हैं। पेशे से व्यापारी और बाजौर जिले में सामाजिक कल्याण के काम करने वाले एक नागरिक ने बताया कि उसे जुलाई और अगस्त में अलग-अलग नंबरों से कॉल आए। कॉल करने वाले लोग खुद को तालिबान का बताते थे और पैसे मांगते थे। इस बारे में जब उन्होंने स्थानीय प्रशासन को बताया तो उनसे कहा गया कि हर व्यक्ति को सुरक्षा मुहैया कराना आसान नहीं है, इसलिए उन्हें अपना ध्यान खुद रखना पड़ेगा।

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