डाला छठ पूजा को लेकर तड़के सुबह लोगों की भीड़, कोरोना के दो साल बाद सब दिखे एक साथ – देखें वीडियो

डाला छठ पूजा को लेकर तड़के सुबह लोगों की भीड़, कोरोना के दो साल बाद सब दिखे एक साथ ।

 

डाला छठ पूजा को लेकर तड़के सुबह लोगों की भीड़

आज़मगढ़ में रविवार की शाम को नदियों व पोखरों के घाट पर भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के बाद आज सोमवार को तड़के उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की ललक व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजनों में दिखाई दी। छठ घाटों पर हर आम व खास सभी ने छठी मइया की श्रद्धापूर्वक पूजा करने पहुंचे हैं। इस दौरान तड़के जन सैलाब के उमड़ने को लेकर स्वयंसेवक भी लगे हैं। यह पर्व बिहार मुख्य रूप से मनाया जाता है लेकिन यह पूरे देश व विदेशों में मनाया जा रहा है। आजमगढ़ के शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में जिस तरह से पर्व की धूम है यह माना जा सकता है कि यह महापर्व का रूप लिया है।

 

V.O. :- जनपद के साढे छः सौ स्थानों पर छठ की पूजा मनाई जा रही है, जहां शहर क्षेत्र में गौरीशंकर घाट, एकलव्य घाट समेत 14 जगहों पर अर्ध्य के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा को देखते हुए इंतजाम किये गये हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से हर प्वाइंटों पर पुलिस की तैनाती व सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी भी लगाये गये हैं। छठी मैया के इस पर्व पर गली मोहल्लों में छठ गीत गूंज रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में नदी व पोखरों के घाट को जाने वाले रास्ते भीड़ से भरे हैं। सिर पर पुरुष बांस की टोकरी में फलों को सजा कर घाट स्थलों पर पहुंचे हैं। छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। प्राय: महिलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार 36 घंटे उपवास करना पड़ता है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर महिलाएं पुत्र की चाहत रखने और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर यह व्रत रखती हैं। पुरुष भी यह व्रत पूरी निष्ठा से रखते हैं। लोगों का मानना है कि छठ माता सबकी मनोकामना पूर्ण करती है सुबह के समय ठंडे पानी में खड़ा रहकर सूर्यदेव के उदय होने का इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद परिवार के बड़े छोटे हर लोग सूर्यदेव को अर्घ देते हैं।

रिपोर्टर – राकेश वर्मा

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