परमाणु बम बनाने की नई ‘फैक्‍ट्री’ बना रहा पाकिस्‍तान, सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा

नई दिल्ली : सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि भारत से जारी तनाव के बीच पाकिस्तान ने अपने चश्मा परमाणु संयंत्र में परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम पृथक्करण केंद्र का काफी विस्तार किया है। पाकिस्तान ने अपने इस परमाणु संयंत्र को बेहद गुपचुप तरीके से 2018 के मध्य में शुरू किया था जिसे अब पूरा कर लिया गया है। चीन से सहयोग के चलते अब पाकिस्तान इस संयंत्र में भारी मात्रा में प्लूटोनियम का निर्माण कर रहा है जिसका इस्तेमाल भविष्य में परमाणु बम बनाने के लिए किया जा सकता है।
दुनियाभर के परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने वाली संस्था इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चश्मा एक्सटेंशन प्लांट में परमाणु बम बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में प्लूटोनियम इकट्ठा किया जा रहा है। इस संयंत्र को पाकिस्तान ने कनाडा की मदद से 1972 में शुरू किया था। इस संयंत्र में चार 300 मेगावाट के प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर ऑपरेशनल हैं जिसमें से 2, 3 और चार को चीन की मदद से शुरू किया गया है। पाकिस्तान और चीन के बीच परमाणु हथियारों और ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग के चलते अब पाकिस्तान इस संयंत्र में भारी मात्रा में प्लूटोनियम का निर्माण कर रहा है जिसका इस्तेमाल भविष्य में परमाणु बम बनाने के लिए किया जा सकता है।
पाकिस्तान के चश्मा परमाणु संयंत्र में प्लूटोनियम के रिप्रोसेसिंग प्लांट को साल 2007 में ही पहचान लिया गया था और 2015 में इस परमाणु संयंत्र को चालू पाया गया था। यह परमाणु संयंत्र पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 250 किलोमीटर दूर मियांवाली जिले में स्थित है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान बिजली की गंभीर कमी से जूझ रहा था। इसलिए पाकिस्तान इन रिएक्टरों की मदद से बड़ी मात्रा में बिजली उत्पादन कर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए परमाणु संयंत्रों पर ही आश्रित होना चाहता है। भारत और पाकिस्तान दोनों के पास न्यूक्लियर हथियार ले जाने वाली मिसाइलें हैं। दोनों देश एक-दूसरे के आखिरी कोने तक हमले की क्षमता वाली मिसाइलें विकसित कर चुके हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई-सीपरी) ने भी सीपरी-2020 ईयर बुक में मौजूदा समय में दुनिया की आयुध, निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का आकलन किया है। इसमें विश्व परमाणु शक्ति के बारे में जनवरी 2020 तक की स्थितियों के आधार पर महत्वपूर्ण खोज की गई है कि 2019 के मुकाबले सभी परमाणु संपन्न देश 2020 में भी अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। सीपरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और इस समय भारत के पास 150 वॉरहेड हैं। पाकिस्तान ने 1998 में अपने परमाणु परीक्षण किए थे, अब उसके पास 160 वॉरहेड हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और पाकिस्तान अपने-अपने शस्त्रागार को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इसके मुकाबले चीन महत्वपूर्ण आधुनिकीकरण के साथ-साथ अपने परमाणु शस्त्रागार का भी विस्तार कर रहा है। सीपरी के मुताबिक चीन के पास भारत और पाकिस्तान से दोगुने 320 एटमी हथियार हैं। चीन ने पिछले एक साल में 30 परमाणु हथियार बढ़ाए हैं, वहीं भारत ने 10 एटम बम। भले ही चीन और पाकिस्तान के पास भारत के मुकाबले परमाणु हथियार ज्यादा हों लेकिन भारत अपने न्यूक्लियर वेपन की क्षमता को लेकर आश्वस्त है। भारत लगातार अपने एटमी हथियारों को उन्नत कर रहा है और जमीन से हवा तक भारत की एटमी ताकत बेहद मजबूत है।

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