WHO की ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ लिस्ट में सबसे खतरनाक है ओमिक्रॉन? जानें

नई दिल्ली. कोविड-19 के वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर दुनियाभर के देशों में चिंता का माहौल बन गया है. कई देश अब कोरोना प्रतिबंधों (Covid Restriction) में दी गई ढील की समीक्षा (Review) कर रहे हैं. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने देशों के चेताया है कि ओमिक्रॉन के वैश्विक स्तर पर फैलने का खतरा काफी ज्यादा है. संगठन का कहना है कि ओमिक्रॉन में करीब 50 म्यूटेशन हैं जिनमें 30 म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन में हैं. इनमें से कुछ म्यूटेशन चिंताजनक हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में भी कारगर हो सकते हैं.

दरअसल ओमिक्रॉन विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ की लिस्ट में शामिल किया गया 5वां कोविड-19 वेरिएंट है. इससे पहले अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना गया था. आइए जानते हैं कि अन्य वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन को लेकर अब तक क्या जानकारी मौजूद है. क्या ये अपने पूर्ववर्ती वेरिएंट ऑफ कंसर्न से ज्यादा संक्रामक और घातक है?

संक्रामक क्षमता
शुरुआती Sars-CoV-2 की तुलना में अल्फा और बीटा वेरिएंट्स को ज्यादा संक्रामक माना गया था. लेकिन इसके बाद भारत में मिले डेल्टा वेरिएंट को पूवर्वर्ती वेरिएंट्स की तुलना में 43% से 90% तक अधिक संक्रामक बताया गया. ओमिक्रॉन की संक्रामक क्षमता को लेकर वैज्ञानिक अभी रिसर्च कर रहे हैं लेकिन इस वेरिएंट के मिलने के साथ ही दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए मामलों में उछाल देखने को मिला है.

बीमारी की गंभीरता
बीते जनवरी महीने में अल्फा वेरिएंट पर एक ब्रिटिश स्टडी में कहा गया था कि इस वेरिएंट से मौत का खतरा अधिक हो सकता है. इसके बाद अगस्त में हुए एक अध्ययन में डेल्टा वेरिएंट के बारे में जानकारी दी गई कि अल्फा की तुलना में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 50 फीसदी ज्यादा है. वहीं ओमिक्रॉन को लेकर अभी स्वास्थ्य एजेंसियां स्टडी कर रही हैं. बीमारी की गंभीरता को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट डेटा नहीं सामने आया है.

वैक्सीन कारगर हैं या नहीं?
अल्फा और बीटा वेरिएंट्स के बारे में स्टडी में कहा गया था कि इन पर कोरोना वैक्सीन कारगर है. बाद में गामा और डेल्टा वेरिएंट को लेकर कुछ स्टडी में दावा किया गया था कि ये प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा भी दे सकते हैं. ओमिक्रॉन की स्पाइक प्रोटीन में हुए म्यूटेशन के कारण इसे लेकर भी शंका जाहिर की जा रही है. हालांकि अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि ये वेरिएंट प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है या नहीं.

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