प्रवासी मजदूर, रोजगार और आंकड़ो की बाजीगरी के बीच मजदूरों को मिले मनरेगा के काम

  • पीलीभीत में कुछ मजदूरों को काम मिलने की शुरुआत ,
  • 606 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम ने तेजी पकड़ी लेकिन आंकडो की भी बाजीगरी
  • Cmo की रिपोर्ट 26442 प्रवासी मजदूर अभी तक आए जिनमे 8664 प्रवासी मजदूरों ने पूरा किया क्वारंटाइन पीरियड,
  • Dm का दावा 10,000 प्रवासी मजदूरों को दिया मनरेगा के तहत काम,
  • 2000 के करीब प्रवासी मजदूर विना क्वारंटाइन पूरा किये कर रहे है मनरेगा में काम,
  • ऐसा है तो उनमें से कुछ के पाजिटिव होने से संक्रमण का बड़ा खतरा,
  • वरना रोजगार देने के मामले में अफसर शाही के आंकड़ो की बाजीगरी

पिछले दो महीनों से कुछ शब्द कानों को झकझोर रहे हैं, सवाल कर रहे हैं, वो हैं कोरोना संक्रमण, लॉकडाउन और रोजी रोटी। सब कुछ जैसे इसके इर्द गिर्द सिमट कर रह गया है। इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी पड़ी है उन श्रमिकों पर जिन्होंने जन्मभूमि से निकलकर दूर कहीं बड़े शहरों में अपनी कर्मभूमि बनाई। आज के समय में यही शब्द कोरोना संक्रमण, लॉकडाउन और रोजी रोटी उन्हें कर्मभूमि छोड़कर जन्मभूमि अपने गांव वापस लौटने को मजबूर कर रहे हैं लेकिन सरकार के दावेकी इन्हें अपने गांव में ही रोजगार मिलेगा पर वहुत कुछ निर्भर करेगा ,परन्तु पीलीभीत में अभी से ही आंकड़ों की वाजीगरी सामने आने लगी है।

ये मजदूर जैसे भी हो चाहें पैदल ही सही हजारों किमी. दूरी तय करके अपने अपने गांव अपनी जन्मभूमि पहुँच गए हैं और जो नहीं पहुंचे हैं उनका अब एक ही सपना है कि बस अपने गांव पहुँच जाए। वो इसी जुगत में हर संघर्ष कर रहे हैं, हर ठोकर खा रहे हैं। सरकार ने भी तमाम ट्रेन और बस चलाकर श्रमिकों की उनके घर पहुँचने की कबायद को कुछ आसान किया है। लेकिन इन श्रमिकों का संघर्ष सिर्फ अपने घर अपने गांव पहुँचने से ही ख़त्म नहीं हो जाता। क्योंकि जब तक वह वजह ख़त्म नहीं होती जिसकी वजह से ये लोग अपना घर छोड़कर दो वक्त की रोटी रोजी कमाने के लिए हजारों किमी.दूर हड्डी तोड़ मेहनत कर रहे थे। यानि अपने इलाके में रोजगार न मिल पाना।

फिलहाल इन प्रवासी मजदूरों की मौजूदा हालत पर सरकार का कुछ ध्यान गया है। इसी के चलते वित्तमंत्री ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के हर हिस्से से रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया है। फिलवक्त इस राहत पॅकेज से मनरेगा को दिया गया एक बड़ा हिस्सा इन मजदूरों को तात्कालिक रहत देने का काम करेगा। इसकी एक झलक पीलीभीत में भी देखने को मिली है। जहाँ की 721 ग्राम पंचायतों में से 606 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम चल रहा है। जिसमें 10 हजार से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं।

लेकिन जिले की cmo सीमा अग्रवाल के बयान के बाद नई भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है बकौल cmo पीलीभीत में बताया कि 25000 से ज्यादा प्रवासी मजदूर आये है जिन्हें संस्थागत और होम दोनों तरह से क्वारंटाइन किया गया है ।जिसमे 25 मई तक केवल 8500 के लगभग प्रवासी मजदूरों ने अपना क्वारंटाइन पीरियड पूरा किया है ऐसे में जिलाधिकारी का ये कहना कि 10000 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया है। आंकडो की बाजीगरी लगता है।क्योंकि जब 8500 प्रवासी मजदूरों ने ही क्वारंटाइन पीरियड पूरा किया तो 10000 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को काम कैसे दिया गया।सबाल ये कि 2000 के लगभग प्रवासी मजदूर विना क्वारंटाइन पूरा किये वगैर मनरेगा की मजदूरी करने लगे है।अगर ऐसा है तो उनमें से कुछ के पाजिटिव होने से संक्रमण का बड़ा खतरा है वरना रोजगार देने के मामले में अफसर शाही के आंकड़ों की वाजीगरी है।

इसमें बड़ी संख्या क्वारंटाइन पीरियड पूरा कर चुके प्रवासी श्रमिकों की है। पीलीभीत के गांव कैच की से आई ये तस्वीरें प्रवासी मजदूरों को रोजी रोटी के मामले में कुछ राहत मिलने की उम्मीद दिखा रही हैं। हालाँकि यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार की यह कबायद इन मजदूरों की जिंदगी की कितनी तकलीफें कम कर पाती है।

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