Covid-19 जैसी महामारी में भी डिजिटल लर्निंग से शिक्षा को मिला बढ़ावा

डिजिटल लर्निंग – वक्त की जरूरत 

डॉ. मंजू गुप्ता, शिक्षाविद
डॉ. मंजू गुप्ता, शिक्षाविद

दुनिया भर में COVID-19 के भयंकर असर को देखते हुए, हर कोई इस महामारी से बचने के सभी एहतियाती उपाय कर रहा है। हम सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं और अपने घरों की सीमाओं में सिकुड़ कर रह गये हैं । आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी बाजार, दफ्तर और स्कूल-कॉलेज बंद हैं । लॉकडाउन की आहट से ही लगने लगे रहा था कि अब पढ़ाई-लिखाई ठप्प हो जाएगी और बच्चों की सीखने की प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ेगा । लेकिन वास्तव में ऐसा हुआ नहीं और इसके लिए आज की तकनीक को धन्यवाद !!!

किसी ने सही कहा है कि “संकट के समय भी सीखना बंद नहीं करना चाहिए” । आईसीटी, जो कि ऑनलाइन सीखने का एक अनुपम सूत्रधार है, उस ने इस कठिन समय में भी सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को रुकने नहीं दिया। विभिन्न डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और आईसीटी टूल्स शिक्षकों, छात्रों और कॉरर्पोरेट एक्जीक्यूटिव्स के लिए चौबीस घंटे उपलब्ध हैं। ये उपकरण निरंतर सीखने की प्रक्रिया को तो मजबूती दे ही रहे हैं, लचीलेपन, सुविधाजनक और इंटरैक्टिव यूजर इंटरफेस जैसे कई फायदे भी दे रहे हैं।

 

इस संदर्भ में यूजीसी और सीबीएसई ने आईसीटी की मदद से कई ऑनलाइन लिंक लोगों से साझा किए हैं, जो छात्रों, अध्यापकों और शोधकर्ताओं के लिए ऑडियो- वीडियो लेक्चर, वर्चुअल क्लास रूम और प्रैक्टिकल सेशन के लिहाज से बेहद कारगर हैं ।

युग भले ही डिजिटल का है लेकिन कोरोना के हमले से उपजी परेशानियों से कई सामाजिक-व्यापारिक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और शिक्षा क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । क्योंकि क्लासरूम टीचिंग की अपनी विशेषताएं हैं । इसी कमी को दूर करने के लिए बहुत से ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं जहां कई लाजवाब फीचर्स मुहैया हैं । ऐसे प्लेटफॉर्म और टूल्स की वजह से सामाजिक अलगाव और लॉकडाउन की बाधा के बीच भी पढ़ाई रूकी नहीं है । स्काइप, ज़ूम, गूगल हैंगआउट, गूगल क्लास, माइक्रोसॉफ्ट गो टू मीटिंग इत्यादि के माध्यम से आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं की सहायता से छात्र अपने सहपाठियों और अध्यापकों के साथ निरंतर संपर्क में रह सकते हैं।

छात्र और शिक्षक इस लॉकडाउन अवधि का अधिकतम उपयोग कई पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए भी कर सकते हैं जिसमें कि स्वयं, कोर्सेरा और एडएक्स के प्लेटफॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध हैं। छात्र विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे ugcmoocs.inflibnet.ac.in, epgp.inflibnet.ac.in, swayamprabha.gov.in, youtube.com, e-Pathshala आदि के माध्यम से विस्तृत नोट्स, सामग्री और मुफ्त ऑनलाइन पुस्तकों का उपयोग कर सकते हैं।

इतना ही नहीं, यह शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए खुद के ओईआर (ओपन एजुकेशनल रिकोर्सेज) बनाने का एक शानदार अवसर है, जो न केवल शिक्षा के लिए छात्रों के उद्देश्य को पूरा करता है, बल्कि पेशेवराना कौशल बढ़ाने में भी एक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में हर डिजिटल पहल शिक्षाविद को खुद को न केवल समय के साथ चलने वाले शिक्षक बल्कि ज्ञान के निर्माता के रूप में देखने में मदद करती है।

कोरोना के साये में कट रहे यह दिन मुश्किल जरूर हैं लेकिन यह समय सीखने और सिखाने का भी समय है और इस काम में आपका साथी बनने को तैयार है डिजिटल प्लेटफॉर्म । माइकल एलेन ने कहा है, “कोई रिफंड नहीं हैं; यदि हम इसे बर्बाद करते हैं तो शिक्षार्थी अपना समय वापस नहीं पा सकते। ”

आइए, कोरोना को जरूर हराएं लेकिन सीखना-सिखाना जारी रख कर ।

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