चीन और पाकिस्तान का यूएनआरसी में चयन की हो रही आलोचना

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनआरसी) में चीन और पाकिस्तान के सदस्य के तौर पर चुने जाने की मानवाधिकार समूह ने आलोचना की है।

चीन मंगलवार को यूएनएचआरसी में जहां थोड़े अंतर से सदस्य चुना गया, वहीं पाकिस्तान एशिया प्रशांत क्षेत्र से सबसे ज्यादा वोट हासिल कर दोबारा इसका सदस्य बना। इसके अलावा रूस, क्यूबा और नेपाल भी इसके सदस्य निर्वाचित हुए हैं।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ट्वीट कर कहा कि चीन, रूस और क्यूबा का संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चुना जाना अमेरिका के परिषद से 2018 में हट जाने के फैसले को सही साबित करता है। अमेरिका सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए अन्य तरीके अपना रहा है।

इस संबंध में मंगलवार को हुई वोटिंग में चीन को 180 सदस्यों में से 139 सदस्यों के वोट मिले। ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ के यूएन निदेशक लुइस चारबोनो ने ट्वीट कर कहा कि ज्यादा से ज्यादा देश चीन के बेहद खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर चिंतित हो रहे हैं।

भारत के शीर्ष विदेश नीति विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने ट्वीट कर कहा है कि पाकिस्तान और चीन के चयन से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद धीरे-धीरे अप्रासंगिक हो गया है।

यूनाइटेड नेशन वॉच एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मानव अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय वकील हीलेल न्यूरर ने कहा कि 4 देशों का संयुक्त राष्ट्र परिषद में चुना जाना मानवाधिकारों के लिए काला दिन है। पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदियों, चीन में उईगुर मुसलमानों और रूस में पृथकतावादियों के मामले में और क्यूबा में अधिनायकवाद है।

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