कुशीनगर के कोपजंगल गांव में बने गौ संरक्षण केंद्र पर सरकारी दावों की खुली पोल, गौशाला में गायों की हालत बदतर

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गायों और गौशालाओं को भले ही प्राथमिकता में रखते हुए भले ही कई नियम बनाए और अलग से बजट का प्रावधान किया लेकिन वहां हालत इतनी बदतर है कि गायों को कुत्ते खा रहे है तो कही कौवे नोच रहे है।

प्रदेश में गायों पर राजनीति बड़ी लंबी कहानी है। सत्ता में योगी के कमान संभालने के बाद आवारा खुले गायों पर सरकार ने प्राथमिकता दिखाते हुए एक अलग से बजट बनाया सरकार ने जिसका आदेश हर जिले के अधिकारियों को दिया गया लेकिन तमाम जिलों के अधिकारियों ने इस योजना पर ऐसा पलीता लगाया कि प्रदेश में गायों और गोवंशों की हालत बद से बदतर होती चली गई। गो-सदन और गौशालाओं के नाम पर धन का बंदरबांट होने लगा। नतीजा ये है कि जानवर वहीं पर मरने के लिए मजबूर हो गए जहां उनके सबसे सुरक्षित होने का दावा किया गया था। यूपी के गोरखपुर से सटे कुशीनगर जिले में हालात इतने बदतर हैं कि गौशालाओं में जानवरों को जिंदा ही कौवे नोंच रहे है। तो कही जंगली जानवर इन बीमार गायों को जिन्दा ही खा रहे है। अब सुरक्षित रखने वाले जानवर अगर यू ही तिल तिल कर मर रहे है तो इससे अच्छा होता कि इन बेजुबान जानवरों को सड़क पर ही रहने दिया जाता।

कुशीनगर जिले के कोपजंगल गांव में बने गौ संरक्षण केंद्र पर सरकारी दावों की पोल खोल कर रह गया है। पड़ताल के दौरान पाया गया कि 210 जानवरों की संख्या वाले इस केंद्र को सरकार का 2 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से जिले का सबसे बड़ा गो सरंक्षण केंद्र का निर्माण करवाया गया था। लेकिन निर्माण कार्यो को ऐसा किया गया कि जंगली जानवर तक घुस आते है। वजह सरंक्षण केंद्र को चारों तरफ से घेरने वाले लोहे की जालियों को जमीन के नीचे तक नही लगाया गया है। ठेकेदार ने धन का बंदरबांट करने के लिए नियम को ताक पर रख कर घटिया निर्माण कार्य किया है। जिस वजह से 200 सौ से अधिक जानवर भगवान भरोसे जीने को मजबूर है।

गौ सेवा केंद्र के भीतर जानवरों को मरने से पहले ही कही कुत्ते नोंचकर खाते है तो कही कौवे जिंदा ही जानवर को नोचते है। गांव के बाहरी इलाकों में बने इस कोपजंगल के सरंक्षण केंद्र पर रात में सियार और अन्य जानवर अंदर आकर कमजोर और बीमार जानवरों को जिंदा खाते हैं। कुशीनगर जिले के कोपजंगल में बने गौ सरक्षण केंद्र पर मिडिया टीम के आंखों के सामने ही जिंदा और बीमार पड़े गोवंशों को कौवे नोंच रहे थे। ऐसे ही करीब एक दर्जन जानवर बीमारी की हालत में बैठे दिखे। लेकिन वहां देखभाल करने के लिए रखे गए कर्मचारी संसाधन का रोना रोते नज़र आये ।

कर्मचारियों ने बताया कि कुत्ते पहले बीमार जानवरो को घेरकर गिरा लेते हैं, फिर भूख से कमजोर गायों को जिंदा ही नोंचकर खाते हैं। गौ संरक्षण केंद्र की बाउंड्री के नाम लगी जाली के नीचे के रास्तों से आवारा कुत्ते और सियार घुसकर जिंदा जानवरों का शिकार करते हैं ।

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