पीलीभीत : नागरिकता संशोधन अधिनियम बनने के बाद नागरिकता देने का काम शुरू

  • जिलाधिकारी पीलीभीत ने 37000 गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों की पहली सूची शासन को भेजी,
  • पीलीभीत जनपद में लगभग 1 लाख बांग्लादेशी ,अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आये गैर मुस्लिम समुदाय के लोग

 

पीलीभीत में लगभग 1 लाख के करीब गैर मुस्लिम समुदाय के शरणार्थी(बंगला भाषी ) लोग रहते है, इनमें से लगभग 50 हजार लोगों को भारत की नागरिकता नही मिली है, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA के बनने के बाद प्रशासन ने नागरिकता देने का काम शुरू कर दिया है | जिस बाबत पीलीभीत जनपद में जिलाधिकारी ने 37000 लोगो की पहली लिस्ट शासन को भेज दी है।

वैभव श्रीवास्तव जिलाधिकारी पीलीभीत ने बताया कि प्राथमिक सर्वे हमने कराया है | जो सिटिज़न अमेंडमेंट एक्ट पारित हुआ है | जिसके परिपेक्ष में बांग्लादेश से आये शरणार्थी कितने है, जिनकी प्राथमिक संख्या निकल कर आई है वो 37000 के करीब शरणार्थी है | जिनको नागरिकता दी जानी है | जिस संबंध में एक पत्र शासन को प्रेषित किया गया है।

इन लोगों के बुजुर्ग पूर्वी पाकिस्तान या बंग्लादेश से आये थे, जनपद पीलीभीत के पूरनपुर,माधौटांडा, न्यूरिया, गाभिया,बूँदी भूड़,बन्दरबोझ,नौजल्लाह,हजारा, गंज ,सेल्हा,मैथिया, लालपुर, और चंदिया हजार जैसी 25 के पास जगह पर कालोनी बना के रहे रह है | ये सभी लोग लंबे समय से भारत की नागरिकता की लड़ाई लड़ रहे है | भारत पाकिस्तान बटवारें के साथ ही हिंदू बंगालियों का भारत मे आना शुरू हो गया, शरणार्थी(बंगला भाषी)  का कहना है कि बंटबारे के बाद हम लोगो को परेशान किया गया, उसी समय हम लोग भारत के कैम्प में आ गए, उसके बाद कलकत्ता और महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत आ गए, लेकिन आज भी 50 प्रतिशत आबादी को भारत की नागरिकता नही मिली | आज पीलीभीत में रहने वाले शरणार्थी के पास हमारी टीम कुछ जानकारी जुटाने पहुँची | हम उन परिवारों से मिले जो पाकिस्तान भारत के बंटबारे के समय इंडिया आ गए थे,कुछ उन परिवारों से भी मिले जो बटवारे के बाद 1970 के बाद आए | लोगों ने बताया कि वोट डालने को नही मिलता, घर अपने नही है, बच्चों को शिक्षा की दिक्कत है,

वहीँ कालीपद हलधर ने बताया कि हमे सरकारी सुविधा नही मिलती है | हर काम में हमसे नागरिकता मांगी जाती है, खतौनी मांगी जाती है,हम पर कुछ नही है,1970 में हम भारत आये, 12 साल कलकत्ता में रहे,1984 में हम पीलीभीत में आ गए, और हम तब से अब तक शरणार्थी ही है,मजदूरी करते है,किसी को नौकरी नही मिलती क्योकि हम भारत के नागरिक नही है | अब सब कुछ ठीक हो जायेगा पता लगा है नागरिकता मिल जायेगी।

जीवन हीरा ने बताया कि हम 1965 में आये थे,मुस्लिम लोग परेशान करते थे, इज्जत से खेलते थे,मन्दिर तोड़े, इस लिये हम यहां आ गए,  हमे अब तक नागरिकता नही मिली,अब नागरिगता मिल जाएगी,हम लोगखुश है।

पुरषों से बात करने के बाद हम इनके परिवार की महिलाओं से मिले, तो एक बड़ी बात सामने आई, हमारी मुलाकात अमेला हीरा से हुई | अमेला हीरा ने बताया की नसबंदी के समय हम महिलाओं को जमीन मिलती थी,30 साल तक हमने खेती की,लेकिन हम पर नागरिकता नही थी,इस लिये वो जमीन हमसे छीन ली गई | नागरिकता होती तो जमीन हमारे पास होती |

नागरिकता न मिलने से महिलाओं को भी दिक्कत हुई,  हम इनकीं कालोनी के बाजार में गये, दुकानदारो का कहना है इनका वोट नही बना,50 हजार लोगों ने आवेदन कर रखा है लेकिन अभी तक नागरिकता नही मिली | सभी लोग कच्चे घरों में रहते है | कोई जंगल किनारे,कोई नहर के किनारे जहाँ आम लोग नही रह सकते वहां इन लोगों को कालोनीयो में बसा दिया गया है | कुछ को नागरिकता मिल गई है पर कुछ को नही,लोग कागजो को हाथ मे लेकर घूम रहे है पर आज भी भारत के नागरिक नही बन सके।

प्रसाद कुमार मंडल ने बताया कि पाकिस्तान में लड़कियों को नंगा किया गया,गोली मारी गई, बहुत लोग जान बचा कर भारत आ गए, बटवारे के बाद हम यहाँ आ गए, वोट नही है,बच्चों को स्कूल नही मिलता, नौकरी नही मिलती हम लोग नागरिकता विहीन है, पीलीभीत में 90 हजार से ज्यादा लोग 1965-64 से रह रहे है और नागरिकता की मांग कर रहे है,कुछ लोगो को नागरिकता मिली है जिनके कागज हमारे पास है |

अगर बात को समझे तो ये लोग असल मे भारत के ही मूल निवासी है क्योंकि बटवारे से पहले ये लोग हिंदुस्तान की जमीन पर ही रह रहे थे | बटवारे के बाद एक लकीर खिंच गई और उस पार चले गए | जहां मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में इन गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को मार पीट गया और उनकी इज्जत से खिलवाड़ किया गया अपनी इज्जत और जान बचाने के लिए बटवारे में खींची गई लकीर के इस पर आ गए और वहीं से ये भारत के शरणार्थी बन गए,और आज तक शरणार्थी ही बने हुए है, सालो के बाद इनको अब नागरिकता मिलेगी, जो वोट बैंक के चक्कर मे कुछ नेताओं को रास नही आ रहा है।

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