बोकारो : इस बार नहीं सजेंगे दुर्गा पूजा पांडाल, मूर्तिकारों को मूर्तियां बनाने के आर्डर नहीं

बोकारो : स्टील सिटी के अंदर बड़े पैमाने में मनाए जाने वाला दुर्गा पूजा में इस बार मेले के साथ-साथ बड़ी-बड़ी मूर्तियां स्थापित करने पर रोक लगने के बाद शहर में बड़ी-बड़ी मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्ति कारों के मेहनत पर पानी फिर गया कोरोना काल में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड सरकार व जिला प्रशासन के द्वारा बड़े आयोजनों पर रोक लगा दी गई है दुर्गा पूजा बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 2 सेक्टर 9 सेक्टर 12 सेक्टर 4 D बसंती मोड़ जैसे कई जगहों पर विहंगम मूर्ति स्थापित कर पूजा का आयोजन किया जाता है। जिसमें लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है इससे कोराना के संक्रमण का फैलाव बढ़ सकता है तथा इसके खतरे को देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए इस बार यह कदम सरकार और प्रशासन के द्वारा उठाया गया क्योंकि इस बड़े आयोजन की तैयारी में एक वर्ग मूर्तिकार भी है जो इसकी तैयारी में साल भर से लगे रहते हैं और दुर्गा पूजा के लिए विशेषकर 8 फीट से 12 फीट तक की मूर्तियां तैयार करते हैं और बोकारो स्टील सिटी के अलावा भी कई क्षेत्रों में होने वाले आयोजन में स्थापित होती है मगर इस बार सरकार और प्रशासन के गाइडलाइंस में 4 फीट तक की ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति मिली है इससे मूर्ति कारों के द्वारा बड़ी-बड़ी मूर्तियों पर होने वाले खर्च से बड़ा नुकसान हुआ है। चास के महावीर चौक पर मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्तिकार राजू पाल ने कहा कि 40 वर्षों से मैं इस पैसे से जुड़ा हूं और हमारे पिता ने इसे शुरू की थी साल भर हम इसी व्यवसाय को करके हम और हमारी परिवार का जीवन यापन होता है। बोकारो सिटी में होने वाले दुर्गा पूजा को लेकर साल भर पहले ही हम लोग मूर्तियों की तैयारी में लग जाते हैं मगर इस बार बड़ी-बड़ी मूर्तियों की बुकिंग नहीं होने से हमारा साल भर का जमा पूंजी बर्बाद हो गया हमारे जैसे कई मूर्तिकार कर्ज पर पैसे लेकर पहले से ही इसकी तैयारी करते है जो इस दुर्गा पूजा में अच्छी कमाई होती थी। लॉकडॉन से पहले ही हमने बैंक से लोन लिया हमारे पास 20 से 25 कारीगर ने काम किया था जो कोलकाता से आते हैं। लॉकडाउन के बाद उन्हें पैसे देकर वापस भेजना पड़ा साथ ही मूर्तियों की साज सज्जा का सामान में भी सारा पैसा खर्च हो गया मगर मूर्ति नहीं निकलने से भारी नुकसान पहुंचा है जिसका बोझ हमारे परिवार पर पड़ा है

रिपोर्टर – अनिल कुमार

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