RJD में छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई ! एकाधिकार पर शुरू हुआ संग्राम ! आरजेडी पार्टी में फिर दरकिनार हुए तेजप्रताप !

पार्टी में छोटे भाई तेजस्वी यादव का वर्चस्व !

एकाधिकार की लड़ाई में पीछे रह गए तेजप्रताप !

जी हां उस वक्त लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव के चेहरे पर मुस्कुराहट हिलौरे मार रही थी जिस वक्त लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजेडी में ये चर्चा गर्म हो गई है कि कि तेजप्रताप यादव एमएलसी केडिडेट बनेंगें। जिसके लिए तेजप्रताप यादव ने अपनी पार्टी के आकाओं पर दबाव भी डाला और अपने सर्मथको को पार्टी के सर पर खड़े हो कर तेजप्रताप यादव के लिए एमएलसी टिकट के लिए नारे लगाने को कहा लेकिन जैसे ही आरजेडी ने एमएलसी केडिडेट के लिए बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह, फारूख शेख और रामबली चंद्रवंशी के नाम पर मुहर लगाई है। वैसे ही तेजप्रताप के लालटेन बुछ गई हैं और तेजप्रताप यादव को समझ में आ गया कि लालू प्रसाद यादव के बाद आरजेडी में अगर किसी का सिक्का चल रहा है तो वो है उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव है।

पिछली बार एक सभा में पहुंच कर तेजप्रताप यादव  ने ये नारा दिया कि लालू के लाल हम हैं। अगर देखा जाए तो राजद परिवार में पड़ी दरार तेजप्रताप यादव के इस बयान से पहले ही सामने आ गई थी। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे की इच्छा को दरकिनार कर एमएलसी केडिडेट के लिए सुनील सिंह फारुख शेख और रामबली चंद्रवंशी का नाम क्यों चुना? तो इसका जवाब ये है कि लालू के छोटे बेटे और तेजप्रताप के छोटे भाई तेजस्वी और पार्टी के बड़े चेहरे जगदानंद सिंह की जोड़ी आने वाले बिहार विधान सभा चुनाव को देखते हुए ही रणनीति बना रही है। ऐसे में इस जोड़ी को तेज प्रताप कहीं से भी फिट नहीं लगे।

ऐसे में सियासी गलियारों में खबर है कि पिछले कुछ दिनो से तेजप्रताप यादव बिहार की राजनीति में कुछ ज्यादा ही सक्रीय है। ऐसे मे बिहार की राजनीति से तेजप्रताप यादव को सलटाने का ये एक गेम प्लान भी हो सकता हैं। हालांकि पार्टी अपने इस फैसले के पीछे ये दलील दे रही है कि आरजेडी परिवारवाद में भरोसा नही करती। यानी कि इस फैसले के पीछे आजेडी पर परिवारवाद का लगा हुआ दाग भी धोने की कोशिश की जा रही हैं। लेकिन एमएलसी केडिडेट की लिस्ट से तेजप्रताप का नाम काटकर सुनील सिंह ,फारुख शेख और रामबली चंद्रवंशी का नाम आगे करके आरजेडी ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर फोकस करके अपना समीकरण बिठाया।

दरअसल अगर देखा जाए तो आरजेडी ने जातिगत समीकरण के लिहाज से अपने उम्मीदवार तय किए हैं। आरजेडी में बहुत समय से राजपूत समाज से प्रत्याशी बनाने की मांग हो रही थी. माना जा रहा है कि आरजेडी ने भूमिहार समाज से आरजेडी ने एडी सिंह को राज्यसभा भेजा था जिससे राजपूत समाज ने आरजेडी पर दबाव बढ़ा दिया था। बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह का नाम इसी रणनीति के तहत सामने आया है। वहीं, आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम समुदाय का एक नाम जरूरी माना जा रहा था। जिसके तहत ही फारूख शेख के नाम पर सहमति बनी है। वहीं रामबली सिंह चंद्रवंशी पिछड़े समाज का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसलिए उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है।

फिलहाल अगर राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो एमएलसी केडिडेट के लिए सामने आए नाम समीकरण की ओर ही इशारा करते हैं। हालांकि राजनीतिक जानकार इसे तेजस्वी के आरजेडी पर ‘एकाधिकार’ से जोड़ कर देख रहे हैं। यही वजह है कि हाल के दिनों में तेज प्रताप को अपने ही कुनबे में कोई खास भाव नहीं मिल रहा है और वे धीरे-धीरे से ही सही लेकिन आरजेडी के राजनीतिक सीन से ही गायब होते जा रहे हैं। बहरहाल विधान परिषद की उम्मीदवारी से नाम कटने के बाद अब तेज प्रताप क्या करेंगे यह देखना दिलचस्प होगा।

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