देश में 2019 में 10 हज़ार छात्रों ने आत्महत्या की है, महाराष्ट्र सबसे आगे

देश में 2019 में 10 हज़ार छात्रों ने आत्महत्या की है | एक दशक में सबसे ज्यादा चौकाने वाला आकड़ा आया सामने आया है | अगर सबसे पहले बैग्लूरु की बात की जाए तो पिछले साल हर दिन औसतन 28 छात्रों ने आत्महत्या की है ! साथ ही पिछले एक दशक में आत्महत्या करने वाले छात्रों का ये सबसे ज्यादा चौका देने वाला आकड़ा सामने आया है | ये भी जानकारी निकल कर सामने आई है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2009 से 31 दिसंबर 2018 तक 81,758 छात्रों ने जान दी।

वहीं, सिर्फ पांच सालों में 57% छात्रों ने सुसाइड किया। अगर पिछले सभी आकड़ो को खंगाला जाए तो पता चलता है कि ये आकड़े काफी हद तक सटीक है, क्योकि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देशभर में 1.3 लाख लोगों ने आत्महत्या की जिसमें 8% छात्र रहे। वहीं, इतने ही किसानों ने आत्महत्या की। जबकि 10% बेरोजगार लोगों ने अपनी जान दी। सबसे ज्यादा आत्महत्या करनेवालों में दिहाड़ी मजदूर रहे और उनका आंकड़ा 23% रहा। इसके बाद गृहिणी महिलाओं ने आत्महत्या की और इनका आंकड़ा 17% रहा।

वहीँ 2018 से लेकर अगर 2019 के आकड़े अगर देखे जाए | तो 25% छात्रों ने परीक्षा में सफल ना हो पाने के कारण अपनी जान दी है | वही अगर राज्यवार आत्महत्याओं का आकड़ा देखा जाए तो महाराष्ट्र इस लिस्ट में सबसे ऊपर है, क्योकिं महाराष्ट्र में 1 हज़ार 448 छात्रों ने अपनी जान दे दी | साथ ही तमिलनाडु में (953), मध्य प्रदेश (862), कर्नाटक (755) और पश्चिम बंगाल (609) का आकड़ा रहा | ऐसे में 2014 से 2018 तक यही वो राज्य है, जहां पर सबसे ज्यादा आत्महत्या के आकड़े सामने आए | सामाजिक कार्यकर्ताओं और मनोचिकित्सों की माने तो इतने बड़े स्तर पर आत्महत्याओं की घटनाओं का बढ़ने का कारण अवसाद, मानसिक तनाव, मानसिक विकार,और आर्थिक समस्याओं रही है |

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