​सेना से हटेंगे द्वितीय विश्व युद्ध के विंटेज ग्रेनेड

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 10 लाख मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल), (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ 409 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है। डीआरडीओ द्वारा डिजाइन किए गए ये नए ग्रेनेड द्वितीय विश्व युद्ध के विंटेज ग्रेनेड की जगह लेंगे। इन ग्रेनेड्स की खासियत यह है कि इन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों मोड में इस्तेमाल किया जा सकता है। नए ग्रेनेड्स सेना और वायु सेना में अभी तक इस्तेमाल हो रहे ग्रेनेड नंबर 36 की जगह लेंगे।

निजी क्षेत्र के लिए पहली बार रक्षा मंत्रालय ने दस लाख हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए आदेश जारी किए हैं ताकि सशस्त्र बलों को पुरानी डिजाइन के हैंड ग्रेनेड से निजात दिलाई जा सके। इन मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को डीआरडीओ और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरीज (टीबीआरएल) ने मिलक​​र डिजाइन किया है और इसका निर्माण नागपुर की कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल) कर रही है। डीआरडीओ ने 2016 में निजी कंपनी को ग्रेनेड बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की थी, जिसके बाद सेना द्वारा सभी मौसम की स्थिति में व्यापक परीक्षण किए गए थे। इनमें रेगिस्तान, ऊंचाई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ मैदानी इलाके शामिल थे।अब रक्षा मंत्रालय से अनुबंध होने के बाद निजी स्वामित्व वाली कंपनी ओएफबी की निर्भरता को कम करते हुए सशस्त्र बलों को पूरी तरह से निर्मित गोला बारूद की आपूर्ति करेगी।

इन ग्रेनेड्स की खासियत यह है कि इन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों मोड में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भारत सरकार के तत्वावधान में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रदर्शित करने वाली एक प्रमुख परियोजना है जो अत्याधुनिक गोला-बारूद प्रौद्योगिकियों को ‘आत्म निर्भरता’ में सक्षम बनाती है और 100% स्वदेशी सामग्री को पूरा करती है। अभी तक सेना में इस्तेमाल हो रहे हैंड ग्रेनेड ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) द्वारा बनाये जा रहे हैं, जिनकी तकनीक द्वितीय विश्व युद्ध के विंटेज ग्रेनेड जैसी है।

नए ग्रेनेड्स को सेना और वायु सेना में अभी तक इस्तेमाल हो रहे ग्रेनेड नंबर 36 की जगह बदला जायेगा। यह ग्रेनेड नंबर 36 द्वितीय विश्व युद्ध की पुरानी डिजाइन के हैं। अब बदल रहे तकनीकी युग में सेना को इस अतीत से छुटकारा दिलाने के लिए यह फैसला लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि ओएफबी की तुलना में निजी कंपनी के मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की उत्पादन लागत भी कम है।

हिन्दुस्थान समाचार
Submitted By: Sunit Nigam Edited By: Sunit Nigam Published By: Sunit Nigam at Oct 1 2020 8:53PM

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