गोरखपुर जिले की नदियों के उफान से ग्रामीणों में दहशत, किसान भी परेशान,सैकड़ो एकड़ फसल भी हुई बर्बाद

जिले की नदियों के बढ़ते जल स्तर से ग्रामीणों में दहसत,सैकड़ो गांव बाढ़ के चपेट में.एक मीटर से ऊपर नदियों के जलस्तर ऊपर बह रहे हैं किसान भी है परेशान ,सैकड़ो एकड़ फसल भी बर्बाद.

वैश्विक महामारी के बाद भारी बरसात और नेपाल के पानी छोड़ने से नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा .एक तरफ हर आम और खास कोरोना महामारी से परेशान हैं तो वही नदियों के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ की तबाही गई .बाढ़ से घिरे गांव भी डूब गए.सैकड़ो गावों में बाढ़ के तबाही से ग्रामीणों में दहसत है. बाढ़ की वजह से किसान भी परेशान हैं हजारो एकड़ फसल भी बर्बाद हो गई.

गोरखपुर जिले की बात करें तो यहाँ राप्ती नदी खतरे के निशान से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है. घाघरा नदी व रोहनी भी उफान पर है. बीते 24 घंटों के दौरान लगभग 1 मीटर ऊपर बढ़ी है. नदी के उफान से ग्रामीणों में दहसत व्याप्त है.

आपको बता दें कि बीते 24 घंटों के दौरान राप्ती ,घाघरा, गोरा, रोहिणी, आमी नदी जिस तरीके से उफान पर हैं .उसको देख कर ग्रामीण दहशत के साए में जी रहे हैं .उनके होश उड़ गए हैं कि इस बार 1998 की बाढ़ फेल हो जाएगी कई हजार एकड़ फसल नष्ट हो गए .जैसे ही नदी का जलस्तर बढ़ रहा है उसको लेकर के ग्रामीण अपने खेत में खड़ी फसल को लेकर खासा परेशान हैं.

 

ग्रामीणों का कहना है कि 4 महीने से लॉकडाउन ने कमर तोड़ कर के रख दी है खेती का सहारा था खेती भी बर्बाद हो गई है .और रही बात बच्चों की पढ़ाई की तो प्राइवेट विद्यालयों में फीस के लिए इतनी दबाव डाल रहे है कि हम लोग परेशान हैं .हम लोगों को ऐसा लग रहा है कि अब जीना नहीं है सरकार हमारे बारे में नहीं सोच रही .

वही राजनीतिक दलों के लोगों का कहना है की जिन अधिकारियों को बांधो पर बाढ़ से पहले काम करना चाहिए वह अधिकारी बांधो पर काम तो नहीं कराए. सरकार के द्वारा दिए गए करोड़ों रुपए का फंड डकार लिए और आज गंगा को मनाने में जुटे हैं आरती कर रहे हैं.

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