Uttar Pradesh में होने वाले पंचायत चुनाव में सीमित हुई प्रत्याशियों की संख्या

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2021) के लिए अभी तारीखों ऐलान भले ही नहीं हुआ है, लेकिन तैयारियों को लेकर शासन स्तर पर तेजी दिखने लगी है।

काफी लंबे वक्त से पंचायत चुनाव का इंतजार गांव में लोग कर रहे हैं।

Uttar Pradesh में प्रधान पद के लिए 57 लोग ही भर सकेंगे पर्चा-

खास बात यह है कि इस बार पंचायत चुनाव में हर गांव से प्रधान पद के लिए 57 लोग पर्चा भर सकेंगे।

वहीं, पहले 47 पर्चे ही भरे जा सकते थे।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिये शासन की गाइडलाइन मिल गई है।

पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य (BDC Member) , वार्ड मेम्बर, जिला पंचायत सदस्य के लिये अलग-अलग चुनाव प्रक्रिया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक वार्ड से सदस्य के लिए 18 पर्चा भरे जा सकेंगे।

वहीं, बीडीसी के लिये 36 पर्चा, भरे जा सकते हैं।

इसी तरह ग्राम प्रधान के लिए 57 और जिला पंचायत सदस्य के लिए 53 पर्चा भरे जा सकेंगे।

पिछले वर्षों में संख्या 45 से 47 रहती थी. लेकिन इस बार बढ़ा दी गई है।

वहीं,  डॉ. प्रमेंद्र सिंह पटेल, सहायक चुनाव अधिकारी पंचायत बदायूं ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को निर्वाचन आयोग से गाइड लाइन जारी हो गई है।

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गाइडलाइन साफ कर दिया है किस पद पर कितने लोग दावेदार हो सकते हैं और पर्चा एक व्यक्ति चार ही भर सकेगा।

वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए फाइनल वोटर लिस्ट 22 जनवरी को जारी होगी।

इसके साथ ही आरक्षण सूची तैयार हो रही है।

झांसी जिले में 1995 से 2015 के बीच सभी 496 ग्राम पंचायतों के आरक्षण का ब्योरा पंचायती राज विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने का काम पूरा कर लिया गया।

Uttar Pradesh में इस बार साफ्टवेयर से तय होगा आरक्षण सूची-

इस बार आरक्षण मैनुअल के बजाए विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तय हो रहा है।

बता दें कि इस समय सबसे लाेग आरक्षण सूची का ही इंतजार कर रहे हैं।

इसी के आधार पर तय होगा कि किस जाति का उम्मीदवार किस गांव में अपनी दावेदारी कर सकता है।

क्योंकि गांव अगर आरक्षित हो गया तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

इसी तरह अगर गांव महिला के लिए आरक्षित हो गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकता।

पंचायत चुनाव में सर्वाधिक विवाद सीटों के आरक्षण तय करने में फंसता है।

हर सीट पर प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के इरादे से वर्ष 1995 से चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू हुई।

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