गोरखपुर : MMMUT में तीन दिवसीय रिसर्च कॉन्क्लेव शुरू, प्रो. बिस्‍वास ने कहा भारत ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में खूब तरक्की की है

गोरखपुरः मुख्‍यमंत्री के शहर गोरखपुर में तीन दिनों तक देश के राष्‍ट्रीय स्‍तर के वैज्ञानिकों का जमावड़ा होगा. वे यहां पर भावी इंजीनियर्स के साथ अपने अनुभवों को साझा करेंगे. तो वहीं उन्‍हें इंजीनियरिंग के क्षेत्र से जुड़ी बारीकियों के साथ तकनीकी के गुर भी सिखाएंगे. मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय में तीन दिवसीय मालवीय रिसर्च कॉन्‍क्‍लेव के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्‍य अतिथि पधारे केन्‍द्रीय यांत्रिक अभियंत्रण अनुसंधान संस्‍थान के पूर्व निदेशक प्रो. गौतम बिस्वास ने कहा कि भारत ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में खूब तरक्‍की की है. अंतरिक्ष से लेकर समुद्र और रक्षा से लेकर इनोवेशन तक में काफी काम हुआ है.

मालवीय रिसर्च कॉन्क्लेव 22 फरवरी को शुरू हुआ. इसमें 24 से अधिक राष्ट्रीय वैज्ञानिक जुटेंगे. चौथा रिसर्च कॉन्क्लेव तीन दिन तक चलेगा. समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय यांत्रिक अभियंत्रण अनुसन्धान संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. गौतम बिस्वास ने चन्‍द्रयान की सफलता पर पूरा विश्‍वास जताया. उन्‍होंने वैज्ञानिकों के प्रयास की सराहना भी की. प्रो. बिस्‍वास ने कहा कि भावी इंजीनियर्स के पास बहुत अवसर हैं. उन्‍हें देश में विभिन्‍न क्षेत्रों में काम करने के अवसर मिल रहे हैं. हमारे वैज्ञानिकों ने भी अच्‍छा काम किया है. अंतरिक्ष से लेकर न्‍यूक्लियर के क्षेत्र में भी हमने काफी प्रोग्रेस की है. आगे भी परिणाम अच्‍छे होंगे.

विशिष्‍ट अतिथि के रूप में उपस्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रो. सुरेन्‍द्र पाल ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक लगातार अच्‍छा कर रहे हैं. किसी भी देश से तुलना करना ठीक नहीं है. हमने रक्षा से लेकर स्‍पेस तक में अच्‍छा काम किया है. चन्‍द्रयान-2 की लैंडिंग पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि आर्बीटर लगातार ऐसी फोटो भेज रहे जो कभी चांद से नहीं आईं है. उन्‍होंने कहा कि हमें लगातार आगे बढ़ रहे हैं. कई मिसाइल के परीक्षण भी हुए हैं. रक्षा के क्षेत्र में भी हम लगातार प्रयोग कर रहे हैं. भावी इंजीनियर्स के सामने अनेक संभावनाएं हैं. अच्‍छे अवसर उनका तलाश कर रहे हैं. ये कान्‍क्‍लेव उनके लिए मील का पत्‍थर साबित होगा.

विशिष्‍ट अतिथि के रूप में उपस्थित डेटा रेसोल्व टेक्नोलॉजी के सीईओ कमांडर कौशल चौधरी ने कहा कि हम अब विकासशील देश के रूप में नहीं गिने जाते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि हम विकसित देशों की दौड़ में चल रहे हैं. हमारे इंजीनियर्स ने अच्‍छे रिसर्च किए हैं. उन्‍होंने कहा कि आईटी से लेकर अन्‍य इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में वैज्ञानिकों के काम की सराहना हो रही है. रक्षा से लेकर अंतरिक्ष तक हमारे काम की पूरे विश्‍व में चर्चा हो रही है. हमें लगातार आगे बढ़ना है. इस बारे में हमारे भावी इंजीनियर्स को सभी सोचना होगा. उनके सामने अनेक अवसर हैं. हमें नए प्रयोग करने होंगे. इस लिहाज से ये कान्‍क्‍लेव उनके लिए काफी उपयोगी साबित होगा.

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यलाय के कु‍लपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले इस समागम में छात्र-छात्राओं के सीखने के लिए बहुत कुछ है. राष्‍ट्रीय स्‍तर के वैज्ञानिकों से बहुत कुछ जान और सीख सकते हैं. ऐसे में ये कान्‍क्‍लेव उनके लिए काफी उपयोगी साबित होने वाला है.

इन तीन दिनों तक छात्रों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों को अपने विषय में हो रहे नवीनतम शोधों से परिचित कराएंगे. इसमें एक्सपर्ट शोध के विषय, प्रविधियां, शोधपत्र कैसे लिखें, कैसे प्रकाशित करें, पेटेंट के लिए कैसे आवेदन करें, रिसर्च एथिक्स की भी जानकारी देंगे.

 

 

गोरखपुर से अजीत सिंह की रिपोर्ट

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