कैसे दिखते थे पुराने भारतीय नोट, जब महात्मा गांधी की तस्वीर नही थी

2015 में हुए विमुद्रीकरण के बाद भी भारतीय नोटों में एक चीज़ जो वही थी, वो थी महात्मा गाँधी की तस्वीर। आज़ादी के बाद से भारतीय करेंसी पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की तस्वीर छापी जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि महात्मा गांधी से पहले भारतीय नोट कैसे दिखते होंगे। तो आइए हम आपको बताते हैं महात्मा गाँधी की तस्वीर वाले नोटों से पहले का इतिहास।

आज़ादी से पहले देश के कई राज्यों में अलग अलग मुद्राएं चलती थी। जैसे 1917-1918 में मिले एक अधिकार के बाद से हैदराबाद के निजाम खुद अपने नोट छपवाते थे। उनके द्वारा छपवाए नोटों के पीछे की तरफ सिक्कों (Mudra) की आकृति छपी होती थी। वहीँ, पुर्तगालियों के गुलाम गोवा में पुर्तगाल इंडिया के नाम से नोटों की छपाई होती थी। 1510 में आए पुर्तगालियों ने ही रूपिया करेंसी चलाई। इन नोटों को एस्कुडो कहा जाता था। इन नोटों के एक तरफ पुर्तगाल के राजा, किंग जॉर्ज द्वितीय की तस्वीर छपी होती थी।

गौरतलब है कि साल 1938 की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार 5 रुपये का नोट जारी किया था। इन नोटों पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी थी। 1950 तक देश में किंग जॉर्ज VI की तस्वीर वाले नोट छापे गए थे। वहीँ, RBI ने सर जेम्स टेलर के हस्ताक्षर वाले 10 रुपये के नोट फरवरी 1938 में जारी किए थे। फिर इन्ही हस्ताक्षर के साथ RBI ने मार्च 1938 में 100 और 1000 के नोट और जून 1938 में दस हजार के नोट भी जारी किए थे।

बता दे कि जेम्स ब्रैड टेलर भारतीय रिजर्व बैंक के दूसरे गवर्नर थे। उन्होंने ही देश में चांदी के सिक्कों का चलन खत्म कर नोटों का प्रचलन शुरू कराया था। इसके साथ ही RBI अध्यादेश लाने में भी उनका योगदान रहा था। इसके बाद साल 1940 में 1 रुपये का नोट जारी किया गया। समय के साथ नोटों में सुरक्षा धागा जैसी तकनीकियां जोड़ी गई।

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