सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई शादी के लिए लिंग, जाति और धर्म की तटस्थता की मांग

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शादी, तलाक, विरासत और गुजारा भत्ता पर लिंग और धर्म-तटस्थ कानूनों की मांग वाली याचिकाओं को बुधवार को ठुकरा दिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की सुप्रीम कोर्ट पीठ ने सरकारी सॉलिसिटर जनरल की इस दलीलों को भी ठुकरा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की जा सकती। वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिकाओं समेत इससे संबंधित अन्य याचिकाओं का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि यह मुद्दा विशेष रूप से विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। कानून बनाने के लिए संसद को इसके लिए आदेश जारी नहीं किया जा सकता।
दरअसल, वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिकाओं समेत इससे संबंधित अन्य याचिकाओं का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा कि यह मुद्दा विशेष रूप से विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। कानून बनाने के लिए संसद को इसके लिए आदेश जारी नहीं किया जा सकता।
अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र को तलाक, गोद लेना, संरक्षण, उत्तराधिकार, विरासत, भरण-पोषण, विवाह की उम्र और गुजारे भत्ता के लिए लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र को तलाक, गोद लेना, संरक्षण, उत्तराधिकार, विरासत, भरण-पोषण, विवाह की उम्र और गुजारे भत्ता के लिए लैंगिक और धार्मिक रूप से तटस्थ एक समान कानून बनाने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।

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