आप नेता संजय सिंह ने सुनाई आपबीती कैसे मीडिया ट्रायल ने किया प्रताड़ित

नई दिल्ली़, 31 जुलाई । भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता समेत बु़िद्धजीवियों ने सनसनीखेज हत्या, बलात्कार और हाल ही में चर्चा में आए मीटू के मामले में खबरिया चैनलों पर आरोपी व संदिग्धों के खिलाफ चलने वाले मीडिया ट्रायल की शनिवार को कड़ी आलोचना की।

 

देश की राजधानी स्थित प्रेस क्लब में ’मीडिया ट्रायल और चरित्र हनन’ के विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि टीआरपी की होड़ में टीवी न्यूज चैनलों द्वारा किए जाने वाले मीडिया ट्रायल से मानसिक प्रताड़तना झेलनी पड़ती है। उन्होंने आपबीती कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि बेबुनियाद आरोपों को लेकर मीडिया में चली खबरों से उन्हें किस प्रकार उन्हें मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।

 

संजय सिंह पहली बार सार्वजनिक रूप से बोले कि मीडिया में उनपर लगे आरोपों के बाद उनकी मां और बेटी ने भी उनसे सवाल किया। उन्होंने बताया कि उनपर जब आतंकियों से उनके संबंध होने के आरोप मीडिया में लगाए गए तो उनकी बेटी ने उनसे सवाल किया था।

कार्यक्रम पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आदित्य झा ने भी कुछ उदाहरणों का उल्लेख किया जिनमें मीडिया ट्रायल के चलते संदिग्धों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा।

कार्यक्रम में प्रेस क्लब आंफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे, वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा और वीनिता यादव ने भी अपने विचार रखे। दुबे ने बताया कि मीडिया में साक्ष्यों की जांच-परख किए बगैर चलने वाली खबरों के चलते अदालती कार्यवाही पर किस प्रकार असर पड़ा।

दीपक शर्मा ने कहा कि मजबूत कानून-व्यवस्था और न्याय-प्रणाली के बगैर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व वाले जीवंत समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि प्रगतिशील समाज के लिए यह बेहद जरूरी है।

हालांकि, सनसनीखेज हत्या, बलात्कार और हाल ही में चर्चा में रहे मी टू के हाई प्रोफाइल मामलों में अक्सर चर्चा इतनी अधिक होती है कि कानून को अमल में लाने वाली एजेंसियां और यहां तक कि न्यायपालिका भी इस ढंग से दबाव में आ जाती है जिसकी कल्पना की भी नहीं कर सकते हैं।इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और टीआरपी के लालचीज खबरिया चैनल अक्सर मामले के सच को तोड़मरोड़ कर पेश करते हैं।

कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं कि नॉन-स्टॉप मीडिया ट्रायल चलने लगता है जिससे आखिरकार झूठी कहानी गढ़ी जाती है या फिर संदिग्ध या आरोपी की छवि पेश की जाती है, जिसका वास्ताविकता से कोई नाता नहीं होता है।

मीडिया ट्रायल और पुलिस पर बढ़ते दबाव के कारण कभी-कभी बेबुनियाद सबूतों के आधार पर चार्जशीट बन जाती है। ऐसे मामलों में सुनवाई में तेजी लाने के लिए यह देखा गया है कि अक्सर न्याय नहीं मिलता है। या तो दोषी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से चलता है या एक निर्दोष व्यक्ति को दंडित किया जाता है।
(कार्यक्रम का संचालन वीनिता यादव ने किया)

Related Articles

Back to top button