कोविड-19 से रिकवर होने के बाद भी कन्फ्यूजन, सिरदर्द, मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं आ रहीं सामने; जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

भारत में दूसरी लहर आने से पहले तक कोविड-19 महज एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन था। अब रिसर्चर्स ने अलग-अलग स्टडी से साबित किया है कि कोविड-19 सिर्फ फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता। शरीर के अन्य हिस्सों में भी परेशानी हो रही है। लॉन्ग कोविड या पोस्ट-कोविड रिकवरी के दौरान ब्रेन सेल्स को पहुंचने वाले नुकसान से दिमागी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।

डेटा बताता है कि कोविड-19 से पीड़ित 7 में से एक मरीज में ब्रेन फॉग या याद्दाश्त से जुड़े न्यूरोलॉजिकल साइड इफेक्ट्स दिख रहे हैं। वायरस सीधे-सीधे दिमागी कोशिकाओं (ब्रेन सेल्स) या नर्व्स पर हमला नहीं करता, पर कोविड-19 इन्फेक्शन की वजह से होने वाली सूजन, ब्लड क्लॉट्स और अन्य इफेक्ट्स गंभीर लक्षणों में स्ट्रोक और दौरे पड़ने जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है।

डॉ. आजाद ईरानी, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई, डॉ. कौस्तुभ महाजन, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी, पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर, खार (मुंबई) और डॉ. राहुल गुप्ता, डायरेक्टर- न्यूरो एंड स्पाइन सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा से बात की। इन विशेषज्ञों से समझा कि पोस्ट कोविड में किस तरह की दिमागी समस्याएं सामने आ रही हैं।

कोविड-19 से रिकवरी के बाद किस तरह की परेशानियां सामने आई हैं?

किंग्स कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के रिसर्चर्स की टीम ने कोविड-19 इन्फेक्शन को समझने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की थी। 81 हजार लोगों से इन प्रश्नों पर जवाब लिए गए। स्टडी बताती है कि जो लोग कोविड-19 से रिकवर हो चुके हैं उन्हें फोकस करने और सोचने में दिक्कत हो रही है। जर्नल EClinicalMedicine में प्रकाशित इस स्टडी के मुताबिक जिनके लक्षण गंभीर थे, उनकी सोचने-समझने की क्षमता ज्यादा प्रभावित हुई है।यह दिक्कत भारत में भी मरीजों के रिकवर होने के आठ हफ्ते बाद भी दिख रही हैं। इन समस्याओं की गंभीरता अलग-अलग लोगों में अलग हो सकती है। कुछ लोग मेमोरी लॉस, ध्यान देने में दिक्कत या थकान महसूस कर रहे हैं। जिन मरीजों ने कम ऑक्सीजन लेवल के साथ अधिक समय बिताया है, उनमें लक्षण ज्यादा दिख रहे हैं। इनमें कन्फ्यूजन रहना, सिरदर्द होना, डिप्रेशन, फोकस करने में दिक्कत, दौरे पड़ना, स्ट्रोक आना, व्यवहार में बदलाव और घबराहट शामिल है।

कोविड-19 की वजह से दिमाग को कैसे नुकसान होता है?

कोविड-19 दिमागी सेहत को दो तरह से प्रभावित करता है- ब्रेन सेल्स और नर्व्स में तथा साइकोलॉजिकल तरीके से। न्यूरोलॉजी की बात करें तो स्ट्रोक, दौरे पड़ना, पार्किंसंस जैसे लक्षण, डायबिटीज इसकी वजह हो सकता है। लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स में मल्टिपल सिरोसिस भी शामिल हैं। साइकोलॉजिकल मुद्दों में एंग्जाइटी, डिप्रेशन शामिल है। कोविड-19 की वजह से होने वाली ब्लड क्लॉटिंग स्ट्रोक्स का कारण बन सकती है। वहीं, कोरोना की वजह से डायबिटीज भी होता है। अचानक बढ़ा शुगर लेवल नर्व्स को प्रभावित करता है।अगर आप कोविड-19 और ब्रेन हेल्थ के इंडायरेक्ट कनेक्शन की बात करें तो लॉकडाउन और आइसोलेशन पीरियड की वजह से उन लोगों को ज्यादा दिक्कत हुई है, जो अर्ली डिमेंशिया और पार्किंसंस डिसीज के शुरुआती लक्षणों का सामना कर रहे थे।

क्या वायरस के दिमाग तक पहुंचने से मौतें भी हुईं?

हां। माइल्ड और मॉडरेट कोविड-19 इन्फेक्शन होने पर मरीजों की शिकायत थी कि गंध नहीं आ रही है। पड़ताल करने पर पता चला कि वायरस फेफड़ों के साथ-साथ नर्वस सिस्टम को भी इन्फेक्ट कर रहा है। यह ब्रेन सेल्स तक जा रहा है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि ब्लड क्लॉट्स और हेमरेज भी स्ट्रोक्स का कारण बने। कोविड की पहली और दूसरी लहर में कई मरीजों की सर्जरी की जरूरत पड़ी। कुछ पेशेंट्स में फेशियल फीचर्स में भी गड़बड़ देखने को मिली है। कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस ब्रेन में जाकर जानलेवा बन गया।इतना ही नहीं कुछ मरीज कोविड-19 की वजह से कोमा में भी गए हैं। डॉ. ईरानी के मुताबिक कुछ मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण रिकवर होने के कुछ महीनों बाद भी दिख रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इसे लॉन्ग-कोविड नाम दिया है, जिसमें नर्वस सिस्टम इफेक्ट्स के लक्षण भी शामिल हैं।

कोविड इन्फेक्शन दिमाग के काम करने के तरीके को क्यों प्रभावित कर रहा है?

कोविड-19 से रिकवरी के बाद भी लोगों को होने वाली परेशानियों पर स्टडी चल रही है। कुछ स्टडी में पता चला है कि इन्फेक्ट होने पर दिमाग के बाहरी हिस्से में ग्रे मैटर की मात्रा कम हो सकती है। इसे लेकर अब तक कुछ थ्योरी सामने आई हैं-

गंभीर इन्फेक्शनः रिसर्चर्स का कहना है कि गंभीर मामलों में वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम (खून और स्पाइनल कॉर्ड) में प्रवेश कर सकता है। इन्फेक्शन को फैला सकता है। स्टडीज में पता चला कि स्पाइन फ्लूइड में भी वायरस का जेनेटिक मटेरियल मिला है।ओवरएक्टिव इम्यून सिस्टमः कोविड-19 की वजह से इम्यून सिस्टम की ओवरएक्टिव होना भी एक कारण हो सकता है। वायरस से लड़ने के दौरान शरीर में सूजन हो सकती है, जो शरीर के अन्य अंगों और हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती है।शरीर में बदलावः कोविड-19 की वजह से शरीर में हुए बदलाव, जैसे- तेज बुखार, ऑक्सीजन का कम लेवल, या ऑर्गन फेल्युअर की वजह से दिमागी बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। समय के साथ यह डीलिरियम या कोमा में भी ले जा सकता है।

इन समस्याओं से कैसे उबरा जा सकता है?

फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ कोविड-19 से ओवरऑल रिकवरी के दौरान ब्रेन हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। कुछ कदम उठाकर आप अपने न्यूरोलॉजिकल हेल्थ को रीबिल्ड कर सकते हैं और नुकसान को कम किया जा सकता है।

दिमागी एक्टिविटी: हमारे शरीर की मसल्स को मजबूती देने के लिए हम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो करते हैं। इसी तरह दिमागी मसल्स को मजबूती देने के लिए आपको कुछ दिमागी गतिविधियों में भाग लेने की जरूरत है। स्टडीज में दावा किया गया है कि चुनौती देने वाली एक्टिविटी आपके ब्रेन सेल्स को फिर से सक्रिय करती है और फोकस बढ़ाने में मदद करती है।हेल्दी फूड्सः पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए अच्छा खानपान बेहद जरूरी है। हरी पत्तेदार सब्जियां, फैटी फिश आपके दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसों की हेल्थ को बेहतर बना सकती हैं। यह कार्डियोवास्कुलर डिसऑर्डर से बचाते हैं। ब्रेन-हेल्दी फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करें।मेडिटेशनः दिमागी समस्याओं से उबरने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है- ध्यान या मेडिटेशन। यह आपको तनाव कम करने और शरीर को साइकोलॉजिकली रिलैक्स करने में मदद करता है। यह आपको ब्लड प्रेशर कम करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और ब्लड शुगर लेवल घटाने में मदद कर सकता है।पर्याप्त नींदः आपकी नींद और दिमागी सेहत आपस में सीधे-सीधे जुड़े हैं। इस वजह से कोशिश करें कि रात को आप पर्याप्त और गहरी नींद लें। वीकेंड्स पर भी रूटीन का पालन करने की कोशिश करें। रात को क्वालिटी नींद से आपकी रोजमर्रा की सोचने की शक्ति, याद्दाश्त और मूड पर सीधा असर पड़ता है।

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