लेकिन अपने नए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की निजी जिंदगी की किताब के अगर कुछ पन्ने पलटकर देखेंगे तो वह भी हम सबको ये प्रेरणा देते हैं कि तमाम मुसीबतें आने के बाद भी जिंदगी को कैसे जिया व जीता जाता है

लेकिन अपने नए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की निजी जिंदगी की किताब के अगर कुछ पन्ने पलटकर देखेंगे तो वह भी हम सबको ये प्रेरणा देते हैं कि तमाम मुसीबतें आने के बाद भी जिंदगी को कैसे जिया व जीता जाता है

लेकिन अपने नए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की निजी जिंदगी की किताब के अगर कुछ पन्ने पलटकर देखेंगे तो वह भी हम सबको ये प्रेरणा देते हैं कि तमाम मुसीबतें आने के बाद भी जिंदगी को कैसे जिया व जीता जाता है. बताते हैं कि कॉलेज के दिनों में ही उनकी दोस्ती श्याम चरण मुर्मू से हुई थी जो बाद में दोनों की शादी में बदल गई. उनके दो बेटे और एक बेटी हुई लेकिन साल 2009 से द्रोपदी मुर्मू की जिंदगी पर कुदरत ने ऐसा कहर बरपाना शुरू कर दिया जो एक आम इंसान के लिए थोड़ा रौंगटे खड़ी करने वाली हकीकत से कम नहीं है. उसी साल उनके बेटे की असामयिक मौत हो गई. अभी वो इस दुख से उबर पातीं कि चार साल बाद यानी 2013 में ही उनका दूसरा बेटा भी गुजर गया. उसके अगले साल ही द्रोपदी मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू का भी निधन हो गया.

 

 

जरा सोचिये कि महज 5 साल के अंदर दो बेटों और पति को खोने वालीं एक महिला का तब क्या हाल हुआ होगा और उनकी मानसिक हालत किस दशा में पहुंच गई होगी. मुर्मू उन हादसों से बेहद टूट गईं थीं लेकिन तब भी उन्होंने एक मजबूत हृदय की नारी का परिचय देते हुए अपने पैतृक घर को ही दान करते हुए उसे एक स्कूल में बदल दिया. समाज-सेवा का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है और इसके लिए उन्होंने तब भी हमारे छुटभैये नेताओं की तरह न कोई ढिंढोरा पीटा और न ही अखबारों में अपनी तस्वीरें ही छपवाईं. मुर्मू की बेटी इतिश्री फिलहाल ओडिसा में एक बैंक अधिकारी हैं जो अपने पति गणेश हेम्ब्रम के साथ आज इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनेंगी. वैसे भी उनके परिवार के सिर्फ चार सदस्य-भाई, भाभी, बेटी और दामाद ही इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे. इसीलिये ये कहने से किसी को भी संकोच नहीं करना चाहिए कि कई नए इतिहास रचने वाले देश के नए राष्ट्रपति की झंझावतों से भरी सादगी वाली ये जिंदगी पांच साल में भुलाने वाली नहीं बल्कि ताउम्र याद रखने वाली है.

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