विवाद के बाद पाकिस्तान ने करतारपुर परियोजना का नाम बदला, सिखों को अब भी नहीं किया शामिल

चंडीगढ़। सिखों के धार्मिक स्थल गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को बिज़नेस मॉडल के रूप में विकसित किये जाने के दौरान ही अब पाकिस्तान सरकार ने इस परियोजना का नाम ‘ प्रोजेक्ट बिज़नेस प्लान’ से बदल कर करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट रख दिया है। नई अधिसूचना अब जारी की गई है परन्तु अभी भी इस परियोजना में सभी 9 सदस्य मुस्लिम समुदाय से रखे गए हैं और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा कमेटी को पंगु बना दिया गया है।

पाकिस्तान के स्पष्ट एजेंडे में इस परियोजना का मकसद अभी भी देश की आय में इजाफा करना है और करतारपुर साहिब को बिज़नेस मॉडल के रूप में विकसित करना है । पाकिस्तान सरकार गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से शुल्क के रूप में प्रति वर्ष 555 करोड़ रुपये (पाकिस्तानी रुपये और भारतीय करेंसी के रूप में 259 करोड़ रुपये) की आय के रूप में देख रही थी। पाकिस्तान सरकार ने जो करतारपुर गलियारा और गुरुद्वारा साहिब पर राशि खर्च की थी, उसे लेकर वहां की सरकार पर प्रश्न उठने लगे थे। पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान से गुरुद्वारा दरबार साहिब में आने वाले श्रद्धालुओं से प्रति व्यक्ति 200 पाकिस्तानी रुपये और भारत से आने वाले श्रद्धालुओं से 20 डॉलर फीस लेती है।

सरकार के नए निर्णय के बाद गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को व्यापारिक रूप में लिया जा रहा है। इसे लेकर भारत के मीडिया समेत देश -विदेश में बसे सिखों ने तीखी प्रतिक्रिया प्रकट की थी। ऐसा भी माना जाने लगा था कि करतारपुर गलियारा खोलने से पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई को मनमाफिक परिणाम नहीं मिले और उसी के दबाव तले पाकिस्तान सरकार ने ऐसा फैसला लिया है। देश विदेश में सिख समुदाय की प्रतिक्रिया 9 सदस्यीय कमेटी को लेकर है कि उसमें सिख समुदाय के लोग शामिल किये जाने चाहिए, जो मांग अभी भी बरकरार है। कल सायं पाकिस्तान सरकार द्वारा उप -सचिव ( प्रशासन ) रशना फवाद के हस्ताक्षरों से संशोधित अधिसूचना जारी की गई है।

Related Articles

Back to top button