पाकिस्तान की सेना नागरिक मामले में हस्तक्षेप बंद करे: रहमान

इस्लामाबाद। जमीयत उलेमा -ए इस्लाम (एफ) के प्रमुख फजलुर रहमान ने पाकिस्तान की सेना को बुधवार को चेतावनी दी कि वह सरकार और पुलिस के नागरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करे वर्ना पाकिस्तान में एकता नहीं रहेगी।

मीडिया से मुखातिब होते हुए रहमान ने कहा कि कराची में हुए हालिया घटना से यह साबित होता है कि सेना की पाकिस्तान की प्रत्येक चीज पर किस हद तक पकड़ मजबूत है। सेना का पूरे देश पर नियंत्रण है। प्रत्येक तहसील में एक मेजर है और प्रत्येक जिले में एक कर्नल। देश के प्रत्येक बड़े संस्थान में सेना का एक अफसर है और उन लोगों के सामने पुलिस के जवान बेबस दिखाई पड़ते हैं।

रहमान का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज ) के नेता सफदर आवान की गिरफ्तारी के सिलसिले में सिंध प्रांत के आईजीपी मुस्ताक मैहर की हुई बेईज्जती के बाद सिंध के लगभग सारे पुलिस अधिकारियों ने अवकाश के लिए आवेदन दिया था।

हाल ही में विपक्षी दलों के संयुक्त गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने इमरान खान की कठपुतली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उनके इस्तीफे की मांग की थी। कराची के रैली में हजारों लोग शामिल हुए थे। उस रैली के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज की उपाध्यक्ष मरियम नवाज के पति सफदर आवान को पाकिस्तान पुलिस ने उनके होटल वाले कमरे से गिरफ्तार कर लिया था ।

पीएमएलएन नेता सफदर आवान की गिरफ्तारी के समय आईजीपी मुस्ताक मेहर को शर्मिंदा होना पड़ा था, जिसके खिलाफ सिंध प्रांत के सभी पुलिसकर्मियों ने अवकाश की मांग की है। पीएमएलएन के नेता और शरीफ और मरियम नवाज के प्रवक्ता तथा सिंध के पूर्व गवर्नर मोहम्मद जुबेर ने कहा कि आईजीपी सिंध को रेंजर द्वारा किडनैप किया गया था और उनको बलपूर्वक सफदर आवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को मजबूर किया गया था।

इस बात से पुलिस अधिकारियों के बीच तीखा रोष है और उन लोगों ने अवकाश का आवेदन दिया है। 18/19 अक्टूबर के दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद उत्पन्न असंतोष के खिलाफ लगभग सारे बड़े अधिकारी, जिसमें अतिरिक्त आईजी, 25 डीआईजी, 30 एसएसपी और दर्जनभर एसपी, डीएसपी और एसएचओ ने छुट्टी का आवेदन दिया है । इस घटना के वजह से सेना भी सकते में है, इसलिए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने खुद हस्तक्षेप किया और कराची की घटना की जांच के आदेश दिए हैं।

वरीय पुलिस अधिकारी अपने आईजीपी के साथ हुए निरादर से काफी नाराज हैं। उनका कहना है अगर उनके आत्मसम्मान पर चोट पहुंचाई जाएगी तो वह इस्तीफा देने को भी तैयार हैं। पुलिस फोर्स प्रथम पंक्ति के रक्षक होते हैं और हजारों पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर शहीद हो जाते हैं। इसके बावजूद जो घटना हुई है, वह बेहद अफसोसनाक है। हम ऐसे माहौल में कैसे ड्यूटी कर सकते हैं, जहां हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है।

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